मनोज नरवणे बने नए Army Chief, कश्मीर-चीन बॉर्डर पर रहे हैं तैनात

संक्षेप:

  • नए आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे को अपनी सर्विस के दौरान कई महत्वपूर्ण अवॉर्ड्स मिले हैं.
  • जनरल नरवणे को स्टाफ के बीच अच्छे व्यवहार और स्पष्टवादी छवि के कारण लोकप्रिय माना जाता है.
  • इंडो-चाइना बॉर्डर पर लंबे सेवा अनुभव के कारण वह चीन मामलों से जुड़ी बारीकियों के जानकार हैं.

नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत आज रिटायर हो गए हैं. उनकी जगह अब जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने सेना प्रमुख का पद संभाल लिया है. मंगलवार को बिपिन रावत की मौजूदगी में ही उन्होंने पदभार को ग्रहण किया. लेफ्टिनेंट जरनल नरवणे अभी तक सेना के उप प्रमुख का पद संभाल रहे थे. जनरल मनोज नरवणे देश के 28वें सेना प्रमुख हैं. मनोज मुकुंद नरवणे अभी तक आर्मी के उप प्रमुख थे. आर्मी चीफ बनते ही वे दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल 13 लाख थल सैनिकों के मुखिया बन गए हैं. आर्मी के वाइस चीफ बनने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे इस्टर्न कमांड के प्रमुख थे. इस्टर्न कमांड भारत-चीन की 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की देखभाल करती है.

बता दें कि बिपिन रावत आज ही सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए हैं. वह देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने वाले हैं, उनके नाम का ऐलान हो चुका है, नए साल पर वो सीडीएस का पद संभालेंगे. बुधवार को रिटायर होने के बाद बिपिन रावत ने मनोज नरवणे को बधाई दी और कहा कि उन्हें भरोसा है कि वह सेना को आगे बढ़ाने का काम करेंगे.

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लंबा अनुभव लेकर आए नए सेना प्रमुख

एम एम नरवणे के पास सेना में काम करने का लंबा अनुभव है. वे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर चुके हैं, डिफेंस कॉरिडोर में एमएम नरवणे को चीन के मामलों का भी एक्सपर्ट माना जाता है. लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे का कमीशन जून 1980 में 7वीं सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट में हुआ था. नरवणे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर कहर बनकर टूटने वाले राष्ट्रीय राइफल्स की एक बटालियन की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वे पूर्वोत्तर में एक इंस्पेक्टर जनरल के तौर पर असम राइफल्स के इंस्पेक्टर जनरल भी रहे हैं. इसके अलावा अंबाला स्थित खड़ग स्ट्राइक कॉर्प्स में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी है.

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