दुर्ग जिले में खपत से ज्यादा उगा रहे सब्जियां, दूसरे राज्यों में बेचकर भी किसानों को नहीं हो रही कमाई

संक्षेप:

जरूरत 4.13 लाख मीट्रिक टन की लेकिन उत्पादन हो रहा 6.40, यानी 2.92 लाख मी.ट. ज्यादा प्रोडक्शन

जिले में सब्जियों की बंपर पैदावार अब किसानों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। यहां टमाटर, शिमला मिर्च, बैगन, केला और पपीता का उत्पादन खपत से कई गुना ज्यादा हो रहा है। पथरिया के सब्जी उत्पादक संदीप सोलंकी बताते हैं कि टमाटर, गोभी, शिमला मिर्च, बैंगन आदि सब्जियों का उत्पादन बहुत ज्यादा है लेकिन खपत कम। टमाटर को कोलकता और गोरखपुर, शिमला मिर्च को दिल्ली, गोभी को कटक और भुनेश्वर भेजना पड़ता है। इस पर प्रति किलो मार्जिन दो रुपए भी नहीं मिल पाता। इससे मुनाफा तो दूर खर्च भी नहीं निकल रहा। कई बार फेंकना पड़ता है। कुछ सब्जियां ऐन वक्त पर बाहर से भी आ जाती हैं, इससे भी नुकसान हो रहा है। समोदा के किसान कैलाश साहू के मुताबिक दुर्ग जिले में अभी 13 सब्जियों का 2.92 मीट्रिक टन अतिरिक्त उत्पादन हो रहा है। राज्य से बाहर बेचने पर सही दाम नहीं मिल पा रहे। कर्ज पटाना भी मुश्किल हो रहा।

भाजी का उत्पादन और खपत बराबर


जिले में केवल पालक, लाल भाजी, प्याज भाजी, मटर, गलका, भिंडी, गंवार फल्ली, मेथी, सेमी, बींस व कुछ सीजनल सब्जियां ही ऐसी हैं जो दुर्ग भिलाई सहित गांवों में उत्पादन के अनुरूप बिक जाता है। कुंदरु यहां के लोग कम खाते हैं, इसलिए बेचने की समस्या किसानों को रहती है।

सरकारी रेट तय नहीं, इससे भी परेशानी


दुर्ग-भिलाई की सब्जी मंडियों में बिक्री का कोई सरकारी रेट तय नहीं है और न ही उद्यानिकी विभाग के पास प्लानिंग। इस वजह से किसानों के अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है। इसे लेकर लगातार समस्याएं सामने आई है, लेकिन अब तक इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया।

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