दुर्ग में पानी संकट से छुटकारा पाने के लिए ये काम कर रही हैं महिलाएं

संक्षेप:

भगीरथ की पौराणिक कहानी तो हम सब जानते हैं । जिन्होंने गंगा नदी को धरती पर लाने का काम किया था। कुछ ऐसी ही कहानी है थनौद की महिलाओं की। जिन्होंने लंबे समय से अपने क्षेत्र में चली आ रही पानी की कमी को दूर करने की ठानी और आशा की किरण के रूप में सामने आया नरवा प्रोजेक्ट।

दुर्ग: भगीरथ की पौराणिक कहानी तो हम सब जानते हैं । जिन्होंने गंगा नदी को धरती पर लाने का काम किया था। कुछ ऐसी ही कहानी है थनौद की महिलाओं की। जिन्होंने लंबे समय से अपने क्षेत्र में चली आ रही पानी की कमी को दूर करने की ठानी और आशा की किरण के रूप में सामने आया नरवा प्रोजेक्ट।

थनौद नाले का जीर्णोद्धार के लिए ग्राम सभा में प्रस्ताप पारित करवाया गया। मनरेगा के तहत नाला जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ है जिसमें ज्यादारत महिलाएं ही काम कर रही हैं।

थनौद गांव में लंबे समय से पानी संकट की स्थिति थी। घर में खाना पकाना, घर की साफ-सफाई, लिपाई पोताई, बर्तनों की सफाई, मवेशियों को पानी पिलाना से जिम्मेदारी घर की महिलाओं की ही रही है। इसलिए पानी की कमी से सबसे ज्यादा महिलायें ही प्रभावित होती हैं। थनौद में भी यही दिक्कत थी।

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गांव की महिलाओं ने देखा कि गांव में वर्षा का जल इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे। इसलिए भूजल स्तर भी कम था । बारिश का पूरा पानी व्यर्थ में बह जाता था। एक नाला था वो भी जीर्ण शीर्ण। गर्मी में पानी की समस्या प्रबल हो जाती थी। 25 से 30 हैण्डपम्प तो थे मगर जमीन के अंदर पानी न होने के कारण सब सूख जाते थे। क्षेत्र के तालाब का पानी मार्च के बाद पानी सूख जाता था।

जिससे महिलाओं को पीने का पानी भरने एवं निस्तारी के लिए दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। नरवा, गरूवा ,घुरूवा, बाड़ी योजना के तहत संचालित नरवा परियोजना एक बहुआयामी योजना है जिसका उद्देश्य जल संरक्षण तो है ही लेकिन इस योजना में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसके तहत हो रहे जल स्रोतों के जीर्णोद्घार के द्वारा अब वर्षा के जल को रोककर पानी की कमी से छुटकारा पाने की दिशा में बढ़िया काम हो रहा है।

जब थनौद की महिलाओं को पता चला कि नरवा योजना के तहत बहुत से जल संरक्षण के कार्य हो रहे हैं, साथ ही इस काम के लिए महात्मा गांधी नरेगा से मजदूरी भी मिलेगी। इस तरह एक पंथ और दो काज वाली बात महिलाओं को समझ आ गई। अपने गांव से पानी का संकट दूर करने के लिए महिलाओं ने थनौद नाले के जीर्णोद्घार का प्रस्ताव ग्राम सभा में दिया। प्रस्ताव को मंजूरी मिली और काम शुरू हुआ।

तकनीकी सहायक दीप्ती सिंह ने बताया कि महिलाओं की कर्मठता को देखते हुए इस काम के लिए मनरेगा के तहत 9.65 लाख रुपये के काम की मंजूरी मिली। जिला पंचायत सीईओ एस आलोक बताते हैं कि थनौद मार्ग से पुल तक नाला निर्माण के इस कार्य की खास बात ये है कि ये पूरा काम महिलाएं कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि 100 से अधिक महिलाएं नाला निर्माण में लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि महात्मा गाधी नरेगा के तहत 746 पंजीकृत परिवार है जिनमें मजदूरों की 991 संख्या है। वर्तमान में 596 परिवार एक्टिव हैं, जिनमें से लगभग जिसमें 95 फीसद महिलाएं हैं।

सीईओ ने बताया कि नाले के बीच-बीच में डबरी निर्माण का कार्य किया जा रहा है। ताकि वर्षा रूपी वरदान से मिले ज्यादा से ज्यादा पानी को एकत्रित किया जा सके।नाला जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण होने पर लगभग 300 एकड़ के लिए सिंचाई सुविधा निर्मित होगी। इसके अलावा डबरी निर्माण से भूजल स्तर में बढ़ोतरी के साथ निस्तारी की भी सुविधा निर्मित होगी।

जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव के टेड़ेसरा से देवादा होते हुए अंजोरा(ख) व थनौद में यह करीब 1500 मीटर तक इसका बहाव है। इस नाले के जीर्णोद्घार के लिए 9.65 लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई है। अब तक तीन डबरियों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और 10 प्रस्तावित है। 

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