गंदगी के वजह से गाजियाबाद में लोगों को जीना दूभर

संक्षेप:

  • गाजियाबाद में प्रमुख समस्याओं का अंबार
  • गंदगी और कमजोर शिक्षा स्तर बनी प्रमुख  
  • प्रशासन कर रहा इन समस्याओं की अनदेखी

गाजियाबाद में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। लोगों को हर दिन आम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं का जानने के लिए NYOOOZ ने बात की सीनियर सिटिजन श्री सत्यप्रकाश शर्मा से। पेश है बातचीत के कुछ अंश...   

सवाल – आप अपने बारे में बताईये और आपके लिए कौन सी प्रमुख समस्या है ?

जवाब - मेरा नाम श्री सत्यप्रकाश शर्मा है। मैं गाज़ियाबाद के शालीमार गार्डन में रहता हूँ। मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था। जिससे मैं अब रिटायर हो चुका हूं।  मेरे लिए समस्याएं तो बहुत है लेकिन इस वक़्त शहर की प्रमुख समस्या है गन्दगी और शिक्षा स्तर का बुरा हाल है। हमारी ज़िंदगी तो कट गई लेकिन ये बच्चे हमारे देश का भविष्य है और इन्हें इनका पूरा हक मिलना चाहिए।

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शहर की कुछ हाई प्रोफाइल इलाकों और सोसाइटीज़ को छोड़ दिया जाए तो शहर के ज़्यादातर इलाकों, गलियों और चौराहों पर गन्दगी चरम पर है। स्वच्छ भारत अभियान, सफाई अभियान आदि जैसे न जाने कितने आंदोलन और अभियान चलाने के बावजूद शहर में सफाई के हालातों में कोई ज़्यादा सुधार आज तक देखने को नही मिला है। जब चुनाव का समय होता है बस तभी शहर में सफाई देखने को मिलती है।

सवाल – इन समस्याओं के आप किसे जिम्मेदार मानते है ?

जवाब - कोई इसके लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहरता है, कोई पार्षद और न जाने किस किस को ज़िम्मेदार ठहराते है। लेकिन इस गन्दगी का जिम्मेदार कोई और नही बल्कि शहर में रह रहे लोगों की सोच में है। जो आज भी खुले आम सड़को पर स्नैक्स के पैकेट्स और केले के छिलके गाड़ी के शीशे नीचे करके सड़क पर फेक कर आगे बढ़ जाते है। दिक्कत कही और नहीं हमारी सोच में ही है। लोग यह सोचते है अरे फेक दो क्या फर्क पड़ता है। यह हमारा घर थोड़ी न है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा और ऐसा ही कुछ हाल शहर के सरकारी स्कूलों का है। जहां बच्चों जो सिर्फ नाम के स्कूल है। जिनमें न तो शिक्षक अच्छे है और न कोई सुविधा मिड डे मील के लिए भी बच्चों को तरसाया जा रहा है। शिक्षा का अधिकार देश के हर बच्चे को है। लेकिन लेकिन सिर्फ नेताओं के भाषण में और किताबों में असलियत तो इसके एकदम उल्ट है।

सवाल - शहर के लोगों की तरफ से क्या कदम उठाए जा रहे है सफाई की ओर ?

जवाब  - ऐसा नहीं है कि प्रशासन की तरफ से कोई भी कदम नहीं उठाया जाता। शहर में अलग-अलग समय पर लोगो की तरफ से स्वछता की ओर कदम बढ़ाए गए है। अलग-अलग समुदाय के लोग कई बार आगे आकर शहर की स्वछता में अपना योगदान देते है जैसे कि अभी हाल ही में पिछले दिनों शालीमार गार्डन में स्वच्छ भारत मिशन के सफाई अभियान जोरो से चला जिसमें कई जाने माने लोगों बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और सफाई के प्रति अपना पूरा पूरा योगदान दिया और अब हाल ही में यह खबर आई है कि नगर निगम स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहर के बड़े होटलों और रेस्टोरेंट में बायो कम्पोस्ट प्लांट लगवाने की तैयारी कर रहा है।

साथ ही शहर की सब्ज़ी मंडियों से निकलने वाला कूड़ा अब बाहर सडकों पर या फिर डंपिंड ग्राउंड में दिखाई नहीं देगा क्योंकि अब अब यह कूड़ा मंडी में ही खाद में तब्दील कर दिया जाएगा। इसके लिए नगर निगर साहिबाबाद और पुराना बस अड्डा स्थित सब्जी मंडी में बायो कंपोस्ट प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है।  जो आने वाले समय में शहर की स्वछता में एक अहम किरदार निभायेगा। लेकिन बच्चों की शिक्षा के स्तर को सुधारने की सारी कोशिश नाकाम हो रही है।

क्योंकि बच्चों तक सुविधाएं पहुंचने से पहले ही बीच में बैठे दलाल उसके हड़प कर जाते है। यदि हर कोई यह सोच ले कि सरकारी स्कूल में आने वाले सारे गरीब बच्चों का पढ़ाई पर सरकार द्वारा जारी की जा रही सुविधाओ पर इनका पूरा हक है तो शायद थोड़ा सुधार लाया जा सके और अगर यदि ऐसा ही सफाई के प्रति हर व्यक्ति यह विचार करले कि सफाई करना केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि हर व्यक्ति को इसमें बराबर का योगदान देना चाहिए।

साथ ही इसे बरकरार रखने के लिए प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारियां समझनी होगी। स्वच्छता अभियान एक अच्छी पहल है। हालांकि, हमें इसे केवल कुछ दिनों के अभियान के तौर पर न लेकर अपनी जिम्मेदारी के तौर पर लेना होगा। यदि हम ही अपने आसपास की साफ-सफाई को लेकर जागरूक नहीं होंगे तो भला तीसरा कौन इसे साफ करने वाला है।

सवाल – NYOOOZ  के माध्यम से आप लोगों से क्या अपील करना चाहेगें?  

जवाब – NYOOOZ के माध्यम से मैं तो यही अपील करना चाहूंगा कि हमें अपने आस पास सफाई रखनी चाहिए। और किसी तीसरे पर निर्भर नही रहना चाहिए और साथ ही सफाई करना केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि हर व्यक्ति को इसमें बराबर का योगदान देना चाहिए। साथ ही इसे बरकरार रखने के लिए प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारियां समझनी होगी और सबका साथ सबका विकास नीति को अपनाकर स्वछता की ओर कदम बढ़ाने चाहिए। साथ ही सरकार से यह भी अपील करना चाहुंगा कि यदि भारत का कल सुधारना है तो आज के इन नन्हे कदमों की रुकावटो को खत्म करना होगा। नही तो भारत का कल अंधकार में है। क्योंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया।

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