सावन 2018: ये हैं भगवान शिव को 'बेलपत्र' चढ़ाने का सही तरीका

संक्षेप:

  • सावन के महीने में 4 सोमवार
  • भगवान शंकर की पूजा करना बहुत फलदायी
  • शिव मंदिरों में लगा भक्तों का तांता

आज है सावन का पहला सोमवार। सावन में भगवन शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। बेल नामक वृक्ष की पत्तियों को बेलपत्र कहा जाता है। बेलपत्र की तीन पत्तियां एक ही प्रकार से जुडी होती हैं और इनको एक पत्ता माना जाता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र के अदभुत प्रयोग होते हैं। बेलपत्र के बिना शिव जी की पूजा सम्पूर्ण नहीं मानी जाती है। बेलपत्र के दैवीय प्रयोग के अलावा, औषधीय प्रयोग भी होते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के साथ करने से चमत्कारी परिणाम मिल सकते हैं। तो आईये जानते है कि सावन में कैसे बेलपत्र का चुनाव करें?

बेलपत्र का चुनाव-

  • एक बेलपत्र में तीन पत्तियाँ होनी चाहिए।
  • पत्तियाँ टूटी हुई न हों और उनमे छेद भी नहीं होना चाहिए।
  • बेलपत्र जब भी शिव जी को अर्पित करें, चिकनी तरफ से ही चढाएं।
  • एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार बार भी चढ़ा सकते हैं।
  • बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए , जब भी बेलपत्र अर्पित करें साथ में जल की धारा जरूर चढ़ाएं।

विवाह नहीं हो रहा है तो ऐसे करें बेलपत्र का प्रयोग

  • 108 बेलपत्र ले लें।
  • हर बेलपत्र पर चन्दन से "राम" लिखें।
  • "ॐ नमः शिवाय" कहते हुये बेलपत्र को शिव लिंग पर चढाते जाएँ।
  • जब 108 बेल पत्र चढ़ा लें तो शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें ।
  • यह प्रयोग सावन में विशेष फलदायी होता है।

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बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाने की भी है कहानी

भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। मान्यता है कि जब 89 हजार ऋषियों ने परम पिता ब्रह्मा से महादेव को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।

 

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