कुशीनगर हादसे के बाद गाजियाबाद में स्कूल वैन का रियल्टी चेक

संक्षेप:

  • गाजियाबाद में स्कूल प्रशासन की लापरवाही
  • जरूरत से ज्यादा स्कूल वैन में भर रहे बच्चे
  • आरटीओ विभाग बन रहा मामले से अनजान

गाजियाबाद: कुशीनगर के हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में भी इस बात की चिंता बढ़ गई है कि जो स्कूल वैन चल रही है, उनमें आपके बच्चे कितने सुरक्षित हैं। दरअसल, आरटीओ विभाग को अभी भी इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि जो स्कूल वैन चल रही है, उनमें मानकों का कितना पालन किया जा रहा है। गाजियाबाद में भी कई स्कूलों में इस तरह की स्कूल वैन दिखाई देती हैं, जिनमें बच्चों को नियम के मुताबिक संख्या से ज्यादा बैठाया जाता है।

जिससे बच्चों की जिंदगी के लिए खतरा बढ़ जाता है। कई स्कूल वैन तो इतनी पुरानी हो चुकी हैं, कि वह स्कूल बच्चों को लाने और ले जाने लायक भी नहीं है। लेकिन उनमें भी बच्चों को ठूस ठूस कर भर दिया जाता है। सेफ्टी के लिहाज से यह बेहद खतरनाक हो सकता है। इस पर अभिभावक भी सवाल उठा रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि उनके पास कोई चारा भी नहीं है। ऐसी प्राइवेट स्कूल में बच्चों को भेजना मजबूरी बन गया है।

एनसीआर की भागदौड़ भरी लाइफ में जब पेरेंट्स के पास बच्चों को स्कूल लाने ले जाने का वक्त नहीं है। ऐसे में उन्हें प्राइवेट कॉन्ट्रेक्ट पर चलने वाली स्कूल वैन का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। लेकिन यह प्राइवेट कॉन्ट्रेक्ट पर चल रही स्कूल में काफी खतरनाक साबित हो जाती हैं। इनके लिए मानक भी है। लेकिन उन मानकों को यह वैन चालक नहीं मानते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक...

- वाहन के आगे और पीछे `स्कूल बस` लिखा हो

- स्कूल बस में स्पीड गवर्नर्स लगा हो और स्पीड लिमिट 40 किलोमीटर से ज्यादा न हो।

- 12 साल से ज्यादा की उम्र वाले बच्चों को एक व्यक्ति के तौर पर गिना जाना चाहिए।

- बस के पीछे स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर साफ-साफ लिखा हो।

- भाड़े वाली बसों पर `स्कूल ड्यूटी` लिखा होना जरूरी है।

- स्कूल बस का रंग पीला होना चाहिए।

- बस पर देखभाल करने वाला एक अटेंडेंट होना जरूरी है।

- स्कूल बस या वैन में क्षमता से अधिक बच्चे नहीं बिठा सकते।

- फर्स्ट एड बॉक्स अनिवार्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए।

- बस में अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था होनी चाहिए।

- बसों की खिड़की में लोहे की ग्रील होनी चाहिए।

- बस के दरवाजे मजबूत हों और अच्छी तरह से बंद होने वाले हों।

- स्कूल बैग्स को सुरक्षित रखने के लिए बस की सीटों के नीचे जगह होनी चाहिए।

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