कल श्राद्ध करने से पितृ होंगे मुक्त, होगी सुखों की प्राप्ति

संक्षेप:

  • शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष में एकादशी का महत्व
  • कल का श्राद्ध करने से मिलेगा पुण्यफल
  • अन्नदान करने से अन्न अमृत बनकर मुक्ति देता है

शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष में आई एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है। माना जाता है कि  श्राद्ध पक्ष में आई एकादशी से अन्य दिनों की अपेक्षा हजारों गुणा ज्यादा पुण्यफल व सभी प्रकार के सुखों की प्रप्ति भी होती है। श्राद्ध एकादशी व्रत के प्रभाव से तो सात पीढिय़ों तक के पित्तरों का उद्धार हो जाता है। अनेक शास्त्रों में श्राद्ध कर्म में अन्न दान की महिमा कही गई है, इसी कारण किसी भी श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराए जाने का विधान है।

एकादशी का श्राद्ध द्वादशी को करे

शास्त्रों के ज्ञाता अमित चड्डा का कहना है कि जिन लोगों ने अपने पितरों का एकादशी का श्राद्ध करना है, वह द्वादशी को श्राद्ध कर सकते हैं क्योंकि एकादशी में अन्न का सेवन एवं दान, दोनों ही वर्जित माने गए हैं जबकि श्राद्घ कर्म में अन्न दान की ही महिमा शास्त्रों में कही गई है। उन्होंने कहा कि सनन्त कुमार संहिता में भी एकादशी को अन्न दान करना वर्जित बताया गया है और अन्न का सेवन करने वालों के अनेकों दोषों का उल्लेख भी किया गया है।

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श्री चड्डा का कहना है कि जिन लोगों के अपने किसी प्रियजन का श्राद्ध एकादशी तिथि में करना हो तो वह द्वादशी में अन्न दान करके उनके निमित्त श्राद्घ करके पुण्य के भागी बन सकते हैं तथा अपने पितरों को तृप्त करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। गौड़ीय वैष्णव व्रतोत्सव निर्णय पत्रम के अनुसार एकादशी व्रत का पारण 17 सितम्बर को प्रात: 9.30 से पहले करना उत्तम है।

नारदपुराण के मुताबिक, एकादशी को अन्न का सेवन एवं दान करना निषेध माना गया है। श्राद्ध में खीर का अधिक महात्मय है परंतु एकादशी में श्राद्घ करने पर चावल की खीर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जौं और काले तिलों से तर्पण करना न भूलें तथा गाय, कौवे और कुत्ते को रोटी जरुर खिलाएं तथा संध्या के समय चीटिंयों के बिलों पर भी चावल अथवा आटा आदि डालें।

करना चाहिए श्राद्ध पक्ष में अन्नदान

सभी शास्त्रों में जितने दान और व्रत कहे गए हैं, उनकी तुलना में अन्नदान सबसे श्रेष्ठ है। इस संसार का मूल अन्न है, प्राण का मूल अन्न है। यह अन्न अमृत बनकर मुक्ति देता है। सात धातुएं अन्न से ही पैदा होती हैं, यह अन्न जगत का उपकार करता है। इसलिए अन्न का दान करना चाहिए। इन्द्र आदि देवता भी अन्न की उपासना करते हैं, वेद में अन्न को ब्रह्मा कहा गया है। सुख की कामना से ऋषियों ने पहले अन्न का ही दान किया था। इस दान से उन्हें तार्किक और पारलौकिक सुख मिला। जो श्रद्धालु श्राद्ध पक्ष में विधि-विधान से अन्नदान करता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।

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