दीवार से नेहरू की तस्वीर हटाने पर जब वाजपेयी हो गए आग बबूला...

संक्षेप:

  • अटल विहारी वायपेयी दिल्ली के एम्स में भर्ती
  • दफ्तर में नेहरू की तस्वीर हटाए जाने पर अटल हुए थे गुस्सा
  • राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पले-बढ़े वाजपेयी

अटल विहारी वायपेयी दिल्ली के एम्स में भर्ती है। उनकी हालत नाजुक है। भारतीय राजनीति में चुनिंदा नेता ही ऐसे है जिन्हें राजनीति का महारथी कहा जाता है इनमें से एक एक दिग्गज नेता हैं अटल विहारी वायपेयी... अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे नेता हैं जिन्हें लोगों को अच्छे से सम्मोहित करना आता है। उनकी जनसभा में दूर दूर से लोग आते थे। उस दौर में लोगों का मानना था कि वोट भले ही ना दे लेकिन वाजपेयी को सुनना ही एक आनंद है। अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पले-बढ़े हैं।

अटल जी ने हमेशा अपने सिद्धातों का पालन करते थे। अटल जी संयम से काम लेने वाले व्यक्ति थे, राजनीतिक जीवन में उचार चढ़ाव और आलोचनाओं के बाद भी अपने पर संयम रखा। उनके विरोधी भी उनके उस अंदाज के कायल थे। राजनीतिक मूल्यों की पहचान के चलते उन्हें बीजेपी सरकार में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था और वो पेशे से शिक्षक थे। उनकी मां का नाम कृष्णा था। वैसे उनके मूल नाता उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बटेश्वर गांव से है, लेकिन उनके पिता शिक्षक थे इसलिए उनका जन्म मध्यप्रदेश में हुआ। जिसके बाद भी यूपी से उनकी लगाग कभी  कम नहीं हुआ और वो लखनऊ से सांसद रहे। अटल जी एक राजनेता होने के साथ साथ एक कवि भी थे।

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अटल जी ऐसे कुछ नेताओ में ये है जो सत्ता लोभी नहीं है। उन्होंने देश की जनता के लिए काम करने का संकल्प लिया था इसी के चलते उन्होंने कभी शादी नहीं की और आजीवन कुंवारे रहने का फैसला किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था। अटल जी ने अपने नेतृत्व में बीजेपी को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया। दो दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों को मिलाकर उन्होंने एनडीए बनाया जिसकी सरकार में 80 से अधिक मंत्री थे, जिसे जम्बो मंत्रीमंडल भी कहा गया।

आपातकाल के बाद 1977 में बनी मोरारजी देसाई की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने थे। विदेश मंत्री बनने के बाद जब वो पहले दिन ऑफिस पहुंचे तो उन्होंने देखा दफ्तर की एक दीवार से कुछ गायब है। वाजपेयी ने अपने सचिव से कहा कि यहां तो पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर लगी होती थी। मैं तो पहले कई बार इस दफ्तर में आया हूं, अब कहां है वो तस्वीर। जब पता चला कि गैर कांग्रेसी सरकार बनी तो विदेश मंत्रालय के अफसरों को लगा कि जनसंघ से आने वाले नए विदेश मंत्री को नेहरू की तस्वीर अच्छी नहीं लगेगी। इसलिए अधिकारियों ने नेहरू की तस्वीर हटा दी।

इसके बाद वाजपेयी ने विदेश मंत्रालय के अफसरों को जितनी जल्दी हो सके उस तस्वीर को दोबारा लगाने का आदेश दिया। अटल जी एक ऐसे नेता थे जिनके विचारों से विपक्ष भी प्रभावत रहता था। भारतीय राजनीति में अटल जी का एक अलग ही स्थान है, और उनकी ये स्थान कभी कोई नेता शायद ही ले पाए।  

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