किसान नेता राकेश टिकैत बोले- एमएसपी अब भी एक बड़ा सवाल, उस पर भी बने कानून
- प्रधानमंत्री के कृषि कानूनों के वापसी के एलान के बाद गाज़ीपुर बॉर्डर पर बोले किसान नेता राकेश टिकैत।
- एमएसपी भी एक बड़ा सवाल है, उस पर भी कानून बन जाए।
- अभी बातचीत करेंगे, यहां से कैसे जाएंगे।
गाजियाबाद- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों के वापसी के एलान के बाद शुक्रवार को गाज़ीपुर बॉर्डर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि एमएसपी भी एक बड़ा सवाल है, उस पर भी कानून बन जाए, क्योंकि किसान जो फसल बेचता है उसे वह कम कीमत पर बेचता है, जिससे बड़ा नुकसान होता है। अभी बातचीत करेंगे, यहां से कैसे जाएंगे। अभी बहुत से क़ानून सदन में है, उन्हें फिर ये लागू करेंगे। उसपर हम बातचीत करना चाहते हैं। आज संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग है। जो भी उसमें निर्णय लिया जाएगा उसके बाद ही हम कोई बयान देंगे।
संसद में रद्द करें कृषि कानून, एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर भी हो बातचीत: राकेश टिकैत
इससे पहले, शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के एलान पर आंदोलनकारी किसानों में खुशी छा गई। किसानों ने फैसले का स्वागत किया, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन खत्म करने की अटकलों पर विराम लगा दिया। उन्होंने कहा कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें। इस बीच किसानों ने लड्डू और जलेबी बांटकर पटाखे भी फोड़े। सरकार की सद्बुद्धि के लिए किसानों ने आहुति डालकर यज्ञ भी किया।
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सुबह करीब 9:15 बजे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के एलान के बाद दस मिनट में यूपी गेट पर आंदोलन स्थल का नजारा पूरी तरह बदल गया। किसानों के चेहरे से थकान गायब हो गई। जगह-जगह चौपाल में किसान आंदोलन की सफलता को लेकर चर्चा करने लगे।
यूपी गेट पर किसानों ने बांटे जलेबी, लड्डू और फोड़े पटाखे
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर भी आंदोलन मंच के पास किसानों की संख्या में इजाफा होने लगा। वहां भी युवा किसानों ने पटाखे फोड़े और एक दूसरे का मुंह मीठा कराया। भाकियू के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने पीएम के एलान को देर आए दुरुस्त आए कहावत से जोड़कर तंज कसा। उन्होंने कहा कि भाकियू को देश के किसानों की सामूहिक एकजुटता, त्याग और संघर्ष की बदौलत यह पहली जीत मिली है।
इस जीत में 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गवां दी। इसका कारण सिर्फ सरकार का अहंकार व जिद्द थी। देशभक्त किसान, नौजवानों ने अहिंसक सत्याग्रह कर अधिकार की लड़ाई को साबित कर दिया। एमएसपी पर उन्होंने कहा कि लड़ाई अभी अधूरी है। अन्य मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बैठक कर निर्णय ले लिया जाएगा।
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