गाजियाबाद की खेतों में जली पराली, बढ़ा स्मॉग

संक्षेप:

  • गाजियाबाद के करहेड़ा इलाके का मामला
  • खेतों में पराली जला रहे लोग
  • प्रशासन बना अनजान, नहीं की कोई कार्रवाई

गाजियाबाद – गाजियाबाद समेत आसपास के जिलों की आबोहवा जानलेवा हो गई है। हालत ऐसी है कि स्मॉग की वजह से थोड़ी दूर तक देखना भी मुश्किल हो रहा है। इसके साथ ही सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने कूड़ा जलाने, पराली जलाने जैसे मामलों पर रोक लगा दी है। बावजूद इसके गाजियाबाद के करहेड़ा इलाके में कुछ लोग खेतों में पराली जला रहे है। पराली जलाने से पूरे राज नगर एक्सटेंशन समेत आसपास के इलाकों में धुएं का गुब्बार फैल गया है। बावजूद इसके प्रशासन ने इस ओर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

मौसम विभाग का कहना है कि यह स्मॉग है जो प्रदूषण की वजह से है। नमी से लैस प्रदूषकों से पैदा हुए स्मॉग ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) ने कहा कि हवा में नमी का बढ़ा हुआ स्तर स्थानीय स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन से मिल गया है और हवा नहीं बहने के कारण इसने शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। यही नहीं, वायु प्रदूषण के चलते ही दिल्ली और दिल्ली एनसीआर को स्कूलों में बच्चों को छुट्टियां तक करनी पड़ी हैं।

स्मॉग के कारण मरीजों को सांस लेने में तकलीफ के अलावा जुकाम, आंखों में जलन, फेफड़ों की बीमारी, एलर्जी आदि होने का खतरा होता है। हवा द्वारा स्मॉग मरीजों को मुंह, नाक द्वारा शरीर में जाकर नाडिय़ों में सूजन पैदा करती है और नाडिय़ों में सूजन कारण मरीजों को सांस लेने में तकलीफ ज्यादा होती है। यही नहीं, जो मरीज पहले दमे की बीमारी से पीड़ित थे, उनमें दोबारा दमे की शिकायत पहले की अपेक्षा बढ़ रही है और ज्यादातर मामलों में उनको सांस लेने संबंधित दिक्कत व अटैक आ रहे हैं। बच्चे और बुजुर्गों की संख्या अस्पताल में आने वाले मरीजों से काफी ज्यादा है।

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