गाजियाबादः पॉलिथीन बन रही स्वच्छता अभियान में रुकावट

संक्षेप:

  • प्लास्टिक थौलियों का बढ़ रहा इस्तेमाल
  • पॉलिथिन में लोग घरों का कूडा-करकट डाल रहे
  • हर रोज 5 किलों पॉलिथिन का हो रहा प्रयोग

गाजियाबादः प्लास्टिक थैलियों के बढ़ते प्रयोग से सफाई व्यवस्था में जबरदस्त रूकावट पैदा हो रही है। लोगों घरों का कूड़ा-करकट प्लास्टिक की थैलियों में बन्द कर फेंक रहे है। ये पॉलीथीन की थैलियाँ नाले-नालियों और सीवर लाइनों में पहुँचकर उन्हें अवरुद्ध कर देती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, एक महानगर में प्रतिदिन पाँच हजार किलों पॉलीथीन का प्रयोग होता है और उसे प्रयोग के बाद फेंक दिया जाता है। यह पॉलीथीन कूड़े के साथ नाली-नालों के पानी में बह जाता है।

नालों में पानी के साथ बहकर आया पॉलीथीन उनकी ऊपरी सतह पर जमा हो जाता है और पानी के बहाव को रोक देता है। नाली-नालों को अवरुद्ध करने के साथ-साथ पॉलीथीन सीवर लाइन के अन्दर पहुँचकर उसे भी जाम कर देता है जहाँ एक ओर प्रदेश सरकार और नगर निगम की टीम शहर को पॉलीथीन मुक्त बनाने में जुटी हुई है। लेकिन बावाजूद इसके आमजन और दुकानदारों पर इनका कोई असर देखने को नही मिल रहा है।

वही दुकानदारों को जुर्माना देना मंज़ूर है लेकिन पोलयथेनबक इस्तेमाल करने से बाज़ नही आ रहे। यहीं वजह से कि शहर के तमाम नाले-नालियां पॉलीथीन से पटे हैं, जो शहरवासियों के लिए बीमारियां बांट रहे हैं। इसके अलावा सड़क व खाली पड़े प्लाटों में फैली पॉलीथीन खा-खाकर पशु भी मौत के शिकार हो रहे हैं। केंद्र सरकार के स्वच्छता मिशन को भी सफल बनाने में सबसे अधिक पॉलीथीन ही बाधक बनी हुई शहर से लेकर पूरे जनपद का आलम है कि दुकानदार खुलेआम पॉलीथीन की ब्रिकी कर रहे है।

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पॉलीथीन को बढ़ावा देने के लिए आमजन मानस भी कम जिम्मेदार नहीं है। जो कपड़े के थैलों का प्रयोग करने के बजाय पॉलीथीन को ही वरीयता देते है।पॉलीथीन कभी न नष्ट होने की वजह से सबसे अधिक पर्यावरण के लिए हानिकारक है। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक जगह-जगह फैली पॉलीथीन से गंदगी तो होती ही है साथ उस जगह का वातावरण भी गंदगी की वजह से दूषित होने लगता है। वातावरण दूषित होने से व्यक्ति गंभीर बीमारियों से तक ग्रस्त हो जाता है।

बाजार से पॉलीथीन की थैली में सामान लाने के बाद खाली थैली को प्रायः कूड़े की बाल्टी में डाल दिया जाता है और कूड़े के साथ उसे सड़क पर फेंक दिया जाता है। प्रायः हरी साग-सब्जियों के छिलके एवं अन्य बेकार खाद्य पदार्थ भी पॉलीथीन की थैली में फेंक दिए जाते हैं। इस तरह फेंके गए पॉलीथीन और उनमें भरा सामान पशुओं की मौत का कारण बन जाता है। पॉलीथीन को पशु छिलकों आदि के साथ खा जाते हैं। यह पॉलीथीन पशुओं के पेट में जाकर कभी-कभी आँतों में फँस जाता है। इससे पशु मर भी सकता है।

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