ग़ाज़ियाबाद: अंतिम संस्कार के लिए करना पड़ा चार घंटे इंतज़ार, श्मशान घाट पर लोगों में भरा आक्रोश

संक्षेप:

  • 52 शवों का अंतिम संस्कार हुआ
  • शव दहन के लिए करना पड़ा लंबा इंतज़ार
  • हिंडन श्मशान घाट पर लोगों ने जताया विरोध

ग़ाज़ियाबाद । कोरोना काल में अंतिम संस्कार करना तक भारी हो गया है. शव दहन के लिए ही घंटों लाइन लगानी पड़ रही है. बता दें कि हिंडन घाट पर मंगलवार को 52 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। इसके चलते करीब 3 घंटे की वेटिंग बन गई। इन 52 शवों में 15 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया।

अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग बनने से इंतजार लंबा हुआ तो लोगों का गुस्सा भड़क गया। उन्होंने विरोध जताया और खुद ही लकड़ियां उठाकर चिता लगाने लगे। विरोध और हंगामे की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को शांत कराकर व्यवस्था बनाई।
 
शवों की संख्या बढ़ने से हुई परेशानी

मंगलवार को अंतिम संस्कार के लिए हिंडन मोक्ष स्थली पर पहुंचने वाले शवों की संख्या बढ़ गई थी। दोपहर करीब दो बजे तक 24 शवों का अंतिम संस्कार हो चुका था। संख्या बढ़ जाने की वजह से यहां वेटिंग बन गई और शवों को परिसर में ही रखवा दिया गया। यही हाल कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार करने के लिए बनाए गए विद्युत शवदाह गृह पर भी था।

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करीब तीन से पांच घंटे की वेटिंग बनने और लंबा इंतजार करने की वजह से शवों का अंतिम संस्कार करने आए कुछ लोगों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। इनमें से दो शवों के साथ आए लोगों ने मोक्ष स्थली के गोदाम से खुद ही लकड़ियां उठाकर चिता लगानी शुरू कर दी।
 
कर्मचारियों के हाथ-पांव फूले

लोगों का विरोध देख वहां काम कर रहे कर्मचारियों के हाथ-पांव फूल गए। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को किसी तरह शांत कराकर व्यवस्था बनवाई। इसके बाद शवों का अंतिम संस्कार करने में तेजी लाई गई।

हालांकि शाम दो शवों का अंतिम संस्कार शाम छह बजे के बाद हो पाया। वहीं, नगर निगम के अपर नगरायुक्त व मोक्ष स्थली की मॉनिटरिंग कर रहे प्रमोद कुमार का कहना है कि कुछ लोग शव का अंतिम संस्कार जल्दी कराना चाहते थे। इसलिए वह विरोध कर रहे थे। उन्होंने हंगामे की बात से इंकार किया है। उनका कहना है कि मोक्ष स्थली की व्यवस्थाओं में लगातार सुधार किया जा रहा है।

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