कैसा था राकेश टिकैत व अजीत सिंह का रिश्ता, राकेश के रोने पर सबसे पहला फोन अजीत का आया था

संक्षेप:

  • राकेश टिकैत की अजीत से दोस्ती
  • टिकैत के रोने पर अजीत भी रोए थे
  • किसान आंदोलन के पक्ष में थे चौधरी अजीत

ग़ाज़ियाबाद । पिछले दिनों चौधरी अजीत सिंह की मृत्यु हो गई. आपको बता दें कि किसान आंदोलन के समर्थकों में चौधरी अजीत का नाम भी शामिल था. यूपी बॉर्डर पर 28 जनवरी को जब राकेश टिकैत की आंखों से आंसू टपके थे तो उन्हें सबसे पहला फोन चौधरी अजित सिंह का आया था। उन्होंने राकेश टिकैत से कहा था कि यूपी गेट पर भारी फोर्स देख रहे हैं लेकिन डरना नहीं, हारना नहीं, हम तुम्हारे साथ हैं।
 
‘किसानों ने दिल्ली में अपना बड़ा वकील खो दिया’
 
अजीत सिंह की मौत की खबर पर बृहस्पतिवार को राकेश टिकैत ने रुंधे गले से कहा कि जब 28 जनवरी को किसान आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया गया तब चौधरी अजित ने बड़ा हौसला दिया। उन्होंने कहा कि किसानों ने दिल्ली में अपना बड़ा वकील खो दिया। अजित सिंह के जाने से तो मानो दिल्ली में किसानों ठिकाना ही खत्म हो गया। किसान के लिए बड़े कष्ट का विषय है, दुखद है। किसान आंदोलन की सफलता ही चौधरी अजित सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
 
किसानों ने चौधरी अजीत को श्रृद्धांजलि दी

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अजित सिंह का किसानों को बड़ा सहारा था। आंदोलन के बीच-बीच में भी बात करते रहे और हमेशा हौसला अफजाई करते रहे। उनका जाना किसानों के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। ऐसा नुकसान, जिसका आकलन भी मुश्किल है। किसानों ने आंदोलन स्थल पर बृहस्पतिवार को मौन धारण कर चौधरी अजित सिंह को श्रद्धांजलि दी।
‘अजित सिंह का निधन पूरी किसान बिरादरी के लिए अपूरणीय क्षति’
 
राकेश टिकैत ने कहा कि चौधरी अजित सिंह का निधन पूरी किसान बिरादरी के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार ने किसानों के भले के लिए बहुत से प्रयास किए हैं। उन्होंने पूर्व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए कहा कि किसानों का मसीहा के रूप में चौधरी चरण सिंह ने देश भर में अपनी पहचान बनाई और देश के प्रधानमंत्री बने। उन्हीं के बेटे चौधरी अजित सिंह ने भी किसानों के लिए संघर्ष जारी रखा और जीवन भर किसान और किसानी की चिंता करते रहे।

सरकारों में भागीदारी करते हुए उन्होंने बहुत से किसान हित में निर्णय करवाए जिसके लिए किसान बिरादरी सदैव उनकी ऋणी रहेगी। किसान आंदोलन के प्रति भी उनकी चिंता लगातार रहती थी। समय-समय पर किसान आंदोलन के संबंध में जानकारी लेते रहते थे। उन्होंने कहा चौधरी साहब का जीवन हमेशा किसानों से जुड़ा रहा, गांव के लोगों से जुड़ा रहा। उनकी विचारधारा पूर्ण रूप से गांव और गरीब की थी।

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