एनजीटी ने कचरा प्रबंधन में नाकामी पर जीडीए पर लगाया एक करोड़ का जुर्माना

संक्षेप:

  • एक माह के भीतर मुआवजा जमा कराने के आदेश।
  • निगम को यह पैसा गलती करने वाले अधिकारियों की तनख्वाह से वसूलने की छूट दी।
  • इस राशि का इस्तेमाल पर्यावरण सुधारने के लिए किया जाएगा।

गाजियाबाद- कचरा प्रबंधन में विफलता को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गाजियाबाद नगर निगम को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास अंतरिम मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है। इस राशि का इस्तेमाल पर्यावरण सुधारने के लिए किया जाएगा।

अधिकरण ने निगम को यह पैसा गलती करने वाले अधिकारियों की तनख्वाह से वसूलने की छूट भी दी है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, आपराधिक कानून के तहत अभियोजन के अलावा सांविधानिक दायित्व के उल्लंघन को लेकर अधिकारियों को मुआवजा और विभागीय कार्रवाई के जरिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, अधिकरण के आदेशानुसार निगम सीपीसीबी को एक माह के भीतर मुआवजा जमा कराए, जिसे उचित योजना बनाकर पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अतिरिक्त मुख्य सचिव, नगर विकास या अन्य अधिकारियों की सहायता लेकर एक महीने में स्थिति की समीक्षा के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव को तीन माह बाद अनुपालना स्थिति पेश करने और अगली सुनवाई पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मौजूद रहने को भी कहा है।

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इसके अलावा, पीठ ने सीपीसीबी को 24 फरवरी 2022 से पहले क्षेत्र में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के मुद्दे पर स्वतंत्र रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। दरअसल, एनजीटी ट्रांस हिंडन परिसंघ, गाजियाबाद के रेसिंडेंट वेल्फेयर एसोसिएशनों के उस आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जो इंदिरापुरम, वसुंधरा और वैशाली में कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन, पर्यावरण व जन स्वास्थ्य से जुड़ा है।

सुनवाई के दौरान अधिकरण ने गाजियाबाद के इन इलाकों में कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन को लेकर अधिकारियों के कामकाज पर भारी निराशा जताई। पीठ ने कहा, इस मुद्दे पर अधिकरण द्वारा निर्धारित समय सीमाएं गुजर चुकी हैं। पर्यावरण क्षति और आधिकारिक विफलता को लेकर कोई जवाबदेही तय नहीं हुई है।

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