Nipah Virus से घबराएं नहीं, जानें इस वायरस से कैसे बचें

संक्षेप:

  • निपाह वायरस से घबराएं नहीं
  • डॉक्टर से लें सलाह
  • कटे हुए फल न खाएं 

हेल्थ डेस्कः जब से केरल में निपाह वायरस से की लोगों की मरने की खबर आई है। तब से निपाह वायरस से जुड़ी खबरें आ लगातार रही हैं लोगों में डर का माहौल बन गया है। पर आप घबराइए नहीं इस वायरस से बचने के गई उपाय है। तो आइए पहले इस खतरनाक निपाह वायरस से कैसे बचें उसके बारे में जान लेते है।

निपाह वायरस से बचने के उपाय

  1. चमगादड़ या अन्‍य जीवों द्वारा झूठे किए गए फल ना खाएं। इसके लिए फल खरीदते समय ये देखें कि उसे किसी जीव या जानवर ने झूठा तो नहीं किया है।
  2. जहां फ्रूट बैट बड़ी संख्‍या में हों, उस जगह पर उगाए गए फल ना खाएं।
  3. मरीजों के संपर्क में आने से पहले दस्‍ताने और मास्‍क पहनें।
  4. हाथों को एंटी-बैक्‍टीरियल साबुन से धोएं।
  5. कुंओं और अन्‍य पानी के स्‍त्रोतों को साफ रखें।
  6. खुले स्‍त्रोतों से पानी पीना हो तो उसे उबालकर पीएं।
  7. अगर कोई ऐसा मरीज हो तो उसे अलग जगह पर रखें।
  8. बाकी लोगों को उसके संपर्क में बिल्‍कुल ना आने दें।
  9. अगर आपके किसी परिवारजन को फ्लू की समस्‍या हो तो उसके लक्षणों पर नजर रखें। खुद उसका उपचार करने से बचें. डॉक्‍टर की सलाह लें।

ये हैं इसके लक्षण

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डॉक्‍टर्स ने इसके लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, उल्‍टी, चक्‍कर आना, उल्‍टी जैसी फीलिंग, सिर चकराना आदि बताए हैं। कई बार तो इन लक्षणों के उभरने के एक दिन के भीतर व्‍यक्ति कोमा में चला जाता है।

क्‍या इससे बचा जा सकता है?

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार निपाह वायरस के कारण मृत्‍यु होने के 70 फीसदी चांस रहते हैं। ये दिमाग पर असर करता है। इससे बचाव के लिए कोई टीका विकसित नहीं किया जा सका है। ऐसे मरीजों को आईसीयू में रखा जाता है। जिन लोगों में इम्‍युनिटी स्‍तर अच्‍छा है, वहां वायरस से प्रभावित होने के चांस कम होते हैं।

क्‍या है निपाह वायरस?

निपाह वायरस को NiV इन्‍फेक्‍शन भी कहा जाता है। ये जूनोटिक बीमारी है। यानी ऐसी बीमारी जो जानवरों से इंसान में फैलती है। इस बार इसके फैलने का कारण फ्रूट बैट्स (चमगादड़) कहे जा रहे हैं।

कैसे फैलता है?

चमगादड़ कुछ किलोमीटर दूर तक भोजन की तलाश में जाते हैं। ऐसे में ये वायरस को कई किमी दूर तक फैला देते हैं।

शरीर में वायरस का प्रवेश कैसे होता है?

NiV शरीर में खाद्य पदार्थ के माध्‍यम से प्रवेश करता है। प्रभावित चमगादड़ द्वारा झूठे किए गए फलों, बेरी या फूलों के सेवन से ये वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। घरेलू पशु जिन्‍होंने ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन किया हो या चमगादड़ के संपर्क में आए हों, उनसे भी ये फैलता है। प्रभावित व्‍यक्ति के संपर्क में आने से ये वायरस दूसरे के शरीर में प्रवेश कर जाता है।

क्‍या इससे पहले भी ये फैला है?

सबसे पहले साल 1998 में मलयेशिया में ये वायरस फैला था। उस समय वहां सुअरों की वजह से ये फैला। भारत में जनवरी 2001 में पश्चिम बंगाल में ये वायरस फैला। उस समय वहां 45 लोगों की मौत हो गई थी।

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