चुनाव आयोग की सिफारिशों पर राष्ट्रपति की मंजूरी, आप’ के हटे 20 विधायक

संक्षेप:

  • लाभ के पद के मामले में फंसे आप के 20 विधायक
  • 20 विधायकों की सदस्यता रद्द पर राष्ट्रपति की मंजूरी
  • नीचे पढ़े- कौन है ये 20 विधायक   

लाभ के पद के मामले में फंसे आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता आखिरकार रद्द हो गई है। इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। जिसके बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी थी। जिसपर अब राष्ट्रपति ने भी अपनी मुहर लगा दी है।

कौन से हैं विधायक

  • आदर्श शास्त्री- द्वारका
  • अलका लांबा- चांदनी चौक
  • संजीव झा- बुराड़ी
  • कैलाश गहलोत- नजफगढ़
  • विजेंदर गर्ग- राजेंद्र नगर
  • प्रवीण कुमार- जंगपुरा
  • शरद कुमार चौहान- नरेला
  • मदन लाल खुफिया- कस्‍तुरबा नगर
  • शिव चरण गोयल- मोती नगर
  • सरिता सिंह- रोहतास नगर
  • नरेश यादव- मेहरौली
  • राजेश गुप्ता- वजीरपुर
  • राजेश ऋषि- जनकपुरी
  • अनिल कुमार बाजपेई- गांधी नगर सोम दत्त- सदर बाजार
  • अवतार सिंह- कालकाजी
  • सुखवीर सिंह डाला- मुंडका
  • मनोज कुमार- कोंडली (सुरक्षित)
  • नितिन त्यागी- लक्ष्‍मी नगर
  • जरनैल सिंह- रजौरी गार्डेन

क्या है मामला

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आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। इसके बाद जरनैल सिंह के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन के विधायक के रूप में इस्तीफा देने के साथ उनके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई थी।

आयोग का कहना है कि जब हाई कोर्ट ने विधायकों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताकर उन्हें दरकिनार कर दिया था, तब ये विधायक 13 मार्च 2015 से आठ सितंबर 2016 तक ‘अघोषित तौर पर’संसदीय सचिव के पद पर थे। अदालत ने आठ सितंबर 2016 को 21 आप विधायकों की संसदीय सचिवों के तौर पर नियुक्तियों को दरकिनार कर दिया था। अदालत ने पाया था कि इन विधायकों की नियुक्तियों का आदेश उप राज्यपाल की सहमति के बिना दिया गया था।

राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। इससे पहले मई 2015 में चुनाव आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी।

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