किसान आंदोलन: पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी कूदे मैदान में, संघर्ष को देंगे नई धार

संक्षेप:

  • किसान आंदोलन में अब पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी कूद पड़े हैं
  • ये रिटायर्ड नौकरशाह, किसानों के आंदोलन को एक नई धार देंगे
  • लोगों के साथ इस मसले पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। चूंकि अब फसल कटाई का सीजन आ रहा है, इसलिए वे सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के गेहूं का हर दाना एमएसपी पर खरीदा जाए

गाजियाबाद: किसान आंदोलन में अब पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी कूद पड़े हैं। ये रिटायर्ड नौकरशाह, किसानों के आंदोलन को एक नई धार देंगे। लोगों के साथ इस मसले पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। चूंकि अब फसल कटाई का सीजन आ रहा है, इसलिए वे सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के गेहूं का हर दाना एमएसपी पर खरीदा जाए।

पूर्व अधिकारी एमएसपी को लेकर जिलाधिकारी और दूसरे अफसरों के साथ बातचीत करेंगे। इनका प्रयास रहेगा कि 1975 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचे गए गेहूं का हर एक पैसा किसान की जेब में जाए। किसान नेता वीएम सिंह के मुताबिक, पूर्व नौकरशाहों के शामिल होने से किसान आंदोलन को एक नई गति मिलेगी। बहुत से जटिल मसलों पर वे आंदोलन में शामिल नेताओं को सलाह देंगे और उनका मार्गदर्शन भी करेंगे। मंगलवार को लखनऊ में हुई इस बैठक में रिटायर्ड अधिकारियों के अलावा समाज के दूसरे वर्गों से जुड़े लोग भी शामिल रहे। भारत सरकार के पूर्व सचिव विजय शंकर पांडे (पूर्व आईएएस) और पूर्व आईपीएस अधिकारी एसएन सिंह ने बैठक के बाद एक बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने किसानों से आह्वान किया है कि वे तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कराने के लिए अपना संघर्ष जारी रखें। एमएसपी सुनिश्चित करने का दबाव डालें।

उनका कहना है कि देश में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश किसान मजदूर मोर्चा के समर्थन में खड़े होने के लिए, जिसमें सरदार वीएम सिंह और दूसरे कई किसान संगठन शामिल हैं, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया जाएगा। ये किसान संगठन छोटे और सीमांत किसानों की दुर्दशा के मुद्दों को अच्छी तरह से उठा रहे हैं।

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वे कहते हैं, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए ग्रामीण स्तर पर आंदोलन को नई दिशा दी गई है। पूरे देश में बिक्री के लिए मूल कीमत प्राप्त हो। एमएसपी पर एक कानून पारित किया जाए। एमएसपी से कम पर खरीदने वालों पर मुकदमा चलाया जाएगा। गांवों में किसान आंदोलन कार्यक्रम को समर्थन देने का भी निर्णय लिया गया है। रोजाना पांच किसान सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक अनशन पर बैठ रहे हैं। वे सुबह 11 बजे किसानों को कृषि बिलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। अच्छी बात ये है कि ये किसान दोपहर तीन बजे पीएम को एक संदेश भेजते हैं। इसमें किसानों के मुद्दों को उठाया जाता है।

चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी की निरंतरता के बारे में संसद सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर घोषणा की है, इसलिए सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी, सभी किसानों से गेहूं खरीदने तक धरना जारी रहना चाहिए। पूर्व अधिकारियों की मांग है कि मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाए। गन्ने का मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल हो। पूर्व सिविल सेवक और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को जिलों के क्लस्टर के लिए एक पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

यह टीम किसानों की सहायता और मार्गदर्शन कर यह सुनिश्चित करेगी कि गेहूं का हर दाना एमएसपी दर पर खरीदा जाए। बैठक में कहा गया है कि ये अधिकारी समय-समय पर जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे। बिचौलियों से किसानों को बचाया जाएगा। वे यूपीकेएमएम व अन्य किसान संगठनों और निकायों के साथ बातचीत करेंगे। 15 मार्च से विभिन्न जिलों का दौरा कर गांवों में स्थिति का जायजा लिया जाएगा। उपज की बिक्री के लिए जिला प्रशासन से बात करेंगे।

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