दिल्ली की ये हैं सबसे डरावनी जगह, जाने से पहले 100 बार सोच लें...

संक्षेप:

  • दिल्ली की 10 डरावनी जगह
  • इन जगहों को माना जाता है भूतिया का राज
  • जगहों से जुड़ी है कहानियां   

दिल्ली कंटोनमेंट

दिल्ली कंटोनमेंट जिसे दिल्ली कैंट के नाम से जाना जाता है। यहां कि स्थापना ब्रिटिश-इंडियन आर्मी  ने की थी। यह पूरा इलाका एक छोटे से जंगल की तरह दिखाई देता है जिसमें चारो तरफ हरे भरे पेड़ हैं। कहा जाता है कि दिल्ली केंट में सफेद लिबाज पहने एक महिला लोगों से लिफ्ट मांगती है।

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अगर आप आगे निकल जाते हैं तो यह महिला कार के जितना तेज भाग कर पीछा करती है। बहुत से लोगों ने उसको देखने की पुष्टि की है। लोगो का कहना है शायद से किसी महिला ट्रेवलर की आत्मा है जिसकी मृत्यु इसी इलाके में हुई हो।

फिरोज शाह कोटला किला

सन् 1354 में फिरोज शाह तुगलक द्वारा बनवाया गया फिरोज शाह कोटला किला आज खंडहर हो चुका है। आसपास की लोगों की मानें तो हर गुरुवार यहां मोमबत्तियां और अगरबत्ती जलती दिखती है और अगले दिन किले के कुछ हिस्सों में कटोरे में दूध और कच्चा अनाज भी रखा मिलता है।

ऐसा अक्सर होता रहा है, जिसके चलते किले की पहचान अब भूतों के किले के रूप में होने लगी है।

खूनी नदी, रोहिणी

रोहिणी के कम शोर गुल वाले इस इलाके में यूं भी कम लोग आते हैं। नदी के आसपास कोई नहीं जाता है। कारण, नदी के किनारे लाश मिलना। हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना कारण चाहे जो हो, यहां नदी किनारे लाशें मिलना आम बात हो गई है। यही कारण है कि लोग इसे डरावनी जगहों में शुमार करते हैं।

मालचा महल

मालचा महल दिल्ली के दक्षिण रिज़ के बीहड़ो में छुपा है। इसका निर्माण आज से 700 साल पहले फ़िरोज़ शाह तुगलक ने करवाया था। वो इसे अपनी शिकारगाह के रूप इस्तमाल करते थे। यह महल पिछले कई सदियों से वीरान रहने के कारण खंडहर हो चुका था। इस खंडहर हो चुके महल में 1985 में, अवध घराने की बेगम विलायत महल अपने दो बच्चो, पांच नौकरों और 12 कुत्तो के साथ रहने आई। इस महल में आये बाद वो कभी इस महल से बाहर नहीं निकली। इसी महल में बेगम विलायत खान ने 10 सितम्बर 1993 को आत्महत्या कर ली थी। कहते है कि बेगम की रूह आज भी उसी महल में भटकती है।

म्यूटिनी हाउस, कश्मीरी गेट

यह स्मारक 1857 में मारे गए सिपाहियों की याद में अंग्रेजों ने बनवाया था। यहां, यादें और साए अभी भी इस इमारत के आसपास रहते हैं। इसलिए इसे डरावना माना जाता है।

भूली भतियारी का महल, झंडेवालान

यह महल किसी ज़माने में तुगलक वंश का शिकारगाह हुआ करता था। इस महल का नाम “भूली भतियारी”, इसकी देखभाल करने वाली महिला के नाम पर पड़ा है। अंधेरा होना के बाद यहां परिंदा भी पर नहीं मारता। अक्सर सुनाई देने वाली अजीबोगरीब आवाजें यहां माहौल को और डरावना बना देते हैं।

संजय वन

10 किमी क्षेत्रफल में फैले इस इलाके में बच्चों की आत्माएं दिखने के दावे किए गए हैं, जो अक्सर खेलते रहते हैं। अंदर से यह वन घना और डरावना भी है।

करबला कब्रिस्तान

जैसा नाम, वैसा कब्रिस्तान। फिल्मी कब्रिस्तान की तरह यहां भी साये दिखने और उनकी हरकतों के गवाह है आसपास के लोग।

जमाली-कमाली का मकबरा और मस्जिद, महरौली

मस्जिद दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां सोलवहीं शताब्दी के सूफी संत जमाली और कमाली की कब्र मौजूद है। इस जगह के बारे में लोगों का विश्वास है कि यहां जिन्न रहते हैं। कई लोगों को इस जगह पर डरावने अनुभव हुए हैं। सूफी संत जमाली लोधी हुकूमत के राज कवि थे। इसके बाद बाबर और उनके बेटे हुमायूं के राज तक जमाली को काफी तवज्जो दी गई। माना जाता है कि जमाली के मकबरे का निर्माण हुमायूं के राज के दौरान पूरा किया गया। मकबरे में दो संगमरमर की कब्र हैं, एक जमाली की और दूसरी कमाली की। जमाली कमाली मस्जिद का निर्माण 1528-29 में किया गया था। यह मस्जिद लाल पत्थर और संगमरमर से बनी है।

खूनी दरवाजा

यहीं बहादुर शाह जफर के तीन बेटों को अंग्रेजों ने मार डाला था। कहते हैं, तभी से तीनों शहज़ादे इसी इलाके में साया बनकर मौजूद रहते हैं।

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