किसान आंदोलन: टिकैत परिवार की महिलाएं बोलीं -10 साल चलेगा आंदोलन तो भी डटे रहेंगे

संक्षेप:

गाजियाबाद: किसान आंदोलन में महिला किसान दिवस कार्यक्रम में किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत के परिवार की महिलाएं भी पहुंची और सुबह से देर शाम तक यूपी गेट पर मौजूद रहीं। इस दौरान टिकैत परिवार की महिलाओं ने कहा कि सरकार को समझना होगा और एमएसपी पर कानून बनाना होगा। महिलाओं ने कहा कि यह आंदोलन दस साल भी चले तो उन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है, सभी का समर्थन हमेशा बना रहेगा और यहां आने वाले किसानों और आम जनता की संख्या बढ़ती ही जाएगी।

गाजियाबाद: किसान आंदोलन में महिला किसान दिवस कार्यक्रम में किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत के परिवार की महिलाएं भी पहुंची और सुबह से देर शाम तक यूपी गेट पर मौजूद रहीं। इस दौरान टिकैत परिवार की महिलाओं ने कहा कि सरकार को समझना होगा और एमएसपी पर कानून बनाना होगा। महिलाओं ने कहा कि यह आंदोलन दस साल भी चले तो उन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है, सभी का समर्थन हमेशा बना रहेगा और यहां आने वाले किसानों और आम जनता की संख्या बढ़ती ही जाएगी।

आंदोलन में सोमवार को किसान नेता राकेश टिकैत के परिवार की सभी महिलाएं व बच्चे पहुंचे थे। इस दौरान राकेश टिकैत की छोटी बहू निकिता ने कहा कि किसानों के दर्द को अब आम जनता भी समझ रही है, यही वजह है कि आंदोलन में लोगों की संख्या हर दिन बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को पता नहीं क्यों समझ नहीं आ रही किसानों की बातें और हर बार अगली बैठक की तारीख दे देते हैं। निकिता ने कहा कि किसान सरकार से अपनी फसलों का न्यूतम मूल्य ही तो मांग रही है, इसे देने में सरकार न जाने क्यों इतनी आनाकानी कर रही है। किसानों की जमीन दांव पर लगा बैठी सरकार ने एक बार भी किसानों से नहीं पूछा। निकिता ने कहा कि आंदोलन के दौरान कितने ही किसान शहीद हो गए लेकिन सरकार को श्रद्धांजलि देने तक की फुर्सत नहीं है।

वहीं टिकैत परिवार की सबसे छोटी बेटी अंचिता ने कहा कि सरकार चाहे तो किसानों की बात मानकर एक दिन में फैसला कर सकती है और किसान अपने घर को लौट सकेंगे लेकिन सरकार ऐसा नहीं सोच रही। अंचिता ने कहा कि इस आंदोलन में महिलाओं की जिम्मेदारी बढ़ गई है। घर से कोसो दूर परिवार के सभी पुरुष सदस्य सड़क पर बैठे हुए हैं ऐसे में हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम उनका पूरा समर्थन करें और घर परिवार और समाज की जिम्मेदारी संभाल लें ताकि पुरुषों की अनुपस्थिति में भी परिवार समाज और गांव की व्यवस्था बनी रहे।

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