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पूर्वांचल के जुहू चौपाटी की कहानी: बढ़ानी थी ताल की शान, लेकिन सांसत में बतखों की जान
- न्यूज़
- Friday | 29th November, 2024
धीरे-धीरे ये चूजे दो महीने के हो गए।
फिर उन्हें कुछ घंटों के लिए रामगढ़ताल में छोड़ा जाने लगा।
एक साथ ताल में घूमने का मनमोहक दृश्य देखने के लिए लोगों की भीड़ भी जुटने लगी।
जैसे ही ये बतख कुछ और बड़े हुए इनकी देखभाल करने वाले युवक को हटा दिया गया। इसके बाद से ये कभी पानी में तो कभी वाटर कांप्लेक्स तक स्वछंद विचरण करने लगे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय बतख तेज आवाज करते हुए इधर-उधर भागते थे।
लोग मौके पर जाकर देखते तो कुत्ते बतखों को दौड़ाते मिलते थे।
आसपास स्थित गांव के लोगों ने भी उनका शिकार किया। बतखों के लिए होनी चाहिए थे उचित व्यवस्थापशु-पक्षियों के विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकन बतखों को लाने के लिए उनके रहने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए थी।
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