गोरखपुरः पेट्रोल पंप की जांच के खिलाफ सड़क पर उतरा पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन

संक्षेप:

  • पेट्रोल पंप पर घटौली और मिलावट का आरोप
  • जांच की आड़ में पेट्रोलियम ट्रेडर्स को उत्पीड़न
  • पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने जताई आपत्ति

गोरखपुर: राज्य सरकार द्वारा बीते दिनों पूरे प्रदेश के पेट्रोल पम्पों पर घटतौली और मिलावट के आरोप में सघन जांच अभियान चलाया गया था। जिसके तहत कई पेट्रोल पम्पो पर चिप की बरामदगी के चलते और अन्य कारणों से प्रशासन द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया। इस घटना से आक्रोशित गोरखपुर क्षेत्र के पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने बैठक कर नाराजगी जताई। एसोसिशन के पदाधिकारियों ने जांच की आड़ में पेट्रोलियम ट्रेडर्स को उत्पीड़न किये जाने का आरोप भी लगाया है।

जांच के नाम पर पेट्रोल पम्प डीलरों के उत्पीड़न को लेकर आज डीलरों ने मार्च निकाला और प्रेस वार्ता कर प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। प्रदेशव्यापी जांच में कई पेट्रोल पंपों पर हुई कार्रवाई के विरोध में शनिवार को गोरखपुर परिक्षेत्र के पेट्रोलियम ट्रेडर्स के पदाधिकारियों ने बैठक कर प्रदेश शासन के जांच की कार्यवाही को गलत बताया। संघ के मण्डल अध्यक्ष राजन शाही, महा मंत्री अनुराग दत्त पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश में कुल 6600 पेट्रोल पम्प है।

शासन के अनुसार कुल 194 पम्पो पर त्रुटि पाई गई। शासन की जांच के अनुसार एक्स्ट्रा फिटिंग के 60 पम्प हैं। जो कुल पेट्रोल पंपों की संख्या के 1 प्रतिशत से भी कम है। जबकि गोरखपुर परिक्षेत्र में 6 जिले गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, देवरिया, सन्तकबीरनगर, सिद्धार्थनगर है। जिनमें 550 पेट्रोल पंप कार्यरत है,जिन पर औसतन एक पम्प पर चार डिस्पेंसिंग यूनिट और उनमें 2 नोजल लगी है। जिनकी मापन एवम सील की व्यवस्था अलग अलग है। इस तरह हम लगभग 400 नोजल के द्वारा परिक्षेत्र की जनता को सेवा देते हैं।शासन की जांचोपरांत मात्र लगभग 40 नोजल में तेल कम व अधिक मापन में पाया गया,जो कि मशीन की यांत्रिक गड़बड़ी के नाते पाया गया।

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अमूमन हर नोजल के मापन में 6 प्रतिशत यांत्रिक गड़बड़ी पायी जाती है जो कि कम्पनी भी जानती है।जैसे कि 5 लीटर तेल में 30 एमएल कम या ज्यादा हो सकता है। इस जांच में परिक्षेत्र के किसी भी पेट्रोल पम्प पर कोई एक्स्ट्रा फिटिंग, चिप, रिमोट एवम अशुद्धता नही पाई गई। उपरोक्त से स्पष्ट है कि हमारे किसी भी पेट्रोल पंप डीलर की मंशा कम या ज्यादा मापन की नही थी और न ही कभी पूर्व में रही।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार के द्वारा यांत्रिक मापन के सम्बंध में लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के माध्यम से कम्पाउंडिंग की व्यवस्था की गई है। जो उत्तर प्रदेश सरकार में भी मान्य है और कोई भी अनियमितता पाए जाने पर कार्यवाही का प्रावधान है। परंतु प्रशासन द्वारा भारत के संविधान के विरुद्ध सभी नियमो को ताक पर रखकर डीलर बन्धुओं पर धारा 3/7 ईसी एक्ट के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराई जा रही है जो सर्वथा अनुचित है। उन्होंने चेतावनी दिया कि यदि प्रशासन द्वारा उपरोक्त मामलों में कई गयी कार्यवाही वापस नही ली गयी तो हम सभी डीलर अपना पेट्रोलियम व्यवसाय बन्द करने को बाध्य होंगे।

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