देवरिया शेल्टर होम कांड: सीएम योगी ने 12 घंटे में सभी जिलों के डीएम से मांगी रिपोर्ट

संक्षेप:

  • देवरिया के शेल्टर होम में देह व्यापार का खुलासा
  • सीएम योगी ने की डीएम से फोन पर बात
  • कार्रवाई न करने पर डीएम को हटाने के आदेश

देवरिया के मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह में देह व्यापार का खुलासा होने पर मामला गंभीर हो गया है। पुलिस ने एक शेल्‍टर होम की संचालिका और उसके पति का गिरफ्तार किया है। प्रमुख सचिव महिला और बाल कल्याण रेणुका कुमार को दो दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस मामले में महिला एवं बाल कल्‍याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री के आदेश से जिलाधिकारी को हटा दिया गया है क्योंकि वह एक साल से वहां डीएम है और उन्हें लिखकर भेजा जा रहा है, उन्होंने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके साथ ही पूर्व डीपीओ अभिषेक पांडेय को भी हटा दिया गया है। वहीं नीरज कुमार और अनूप सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दे दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्य दो सदसीय हाईलेवल कमेटी मौके पर भेजी गई है, जो सभी बच्चों से बात करेगी और रिपोर्ट पेश करेंगी। उन्होंने कहा कि इस घटना को देखते हुए सीएम योगी ने निर्देश दिए है कि सभी जिले के डीएम अपने-अपने क्षेत्र में चल रहे सरकारी गृह और एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे शेल्टर होम का निरीक्षण करेंगे और 12 घंटे में इसकी रिपोर्ट सौंपेगे।

मीडिया से बातचीत में महिला एवं बाल कल्‍याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि इस शेल्‍टर होम को बंद करने के आदेश दिए गए थे, मगर उसका पालन नहीं किया गया। पिछले साल सीबीआई जांच के बाद, यह तय हो गया था कि देवरिया शेल्‍टर होम गैरकानूनी तरीके से चल रहा था। बंदियों को दूसरी जगह शिफ्ट कर इसे बंद करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। एक अगस्‍त को, इसे बंद कराने के लिए एफआईआर दर्ज कराई गई क्‍योंकि यहां कई गलत काम हो रहे थे। रिकॉर्ड्स में मौजूद बच्‍चों में से कई यहां नहीं मिले। रविवार को एक बच्‍ची को बचाया गया जिसने शिकायत की है।

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प्रेसवार्ता के दौरान बालिका ने कहा कि दीदी लोगों को लेने के लिए हर दिन कार आती थी, जब वह वापस आती थीं तो वह रोते हुए आती। जब हम लोग पूछने का प्रयास करती तो वह कुछ भी बोलने से इन्कार कर देती। छोटे-छोटे बच्चों से पोछा लगवाया जाता था। पोछा न लगाने पर हम लोगों की पिटाई भी बड़ी मैडम व छोटी मैडम करती थीं। विरोध करने खाना नहीं दिया जाता था।

आपको बता दें कि संस्था की मान्यता 2017 में सीबीआई की जांच में संदिग्ध मिलने के बाद स्थगित कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने गृह में रहने वाली 28 महिलाओं, सात कारा के बच्चों तथा अन्य बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए पत्र व्यवहार किया, लेकिन संस्थान द्वारा उनको गोरखपुर शिफ्ट नहीं किया गया। उच्च न्यायालय में मामला होने का दावा किया जाता रहा, लेकिन उच्च न्यायालय से कोई आदेश नहीं मिला। पुलिस का कहना है कि संरक्षण गृह से 24 लड़कियों को मुक्त कराया गया है जबकि रजिस्टर में 42 लड़कियों के नाम दर्ज हैं। 18 लड़कियों का पता लगाया जा रहा है।

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