जिस्म और नशा : किशुन 10 साल में कैसे बनी गोरखपुर की ‘स्मैक क्वीन’

  • Tuesday | 25th July, 2017
  • crime
संक्षेप:

  • गोरखपुर में NYOOOZ ने की स्मैक क्वीन को लेकर पड़ताल

  • 10 साल से बरोकटोक स्मैक का धंधा कर रही किशुन

  • पूरे गोरखपुर में बनाया स्मैक बेचने का नेटवर्क

By : आशुतोष सहाय

NYOOOZ ने स्मैक क्वीन किशुन का स्मैक क्वीन बनने का सफर जानने के लिए गोरखपुर में पड़ताल की। बताया जा रहा है कि सोमवार रात पुलिस को चकमा देने की स्मैक क्वीन किशुन ने कोशिश की। लेकिन उसकी आईपीएस चारू निगम के आगे एक ना चली। फिलहाल तो पुलिस ने इस स्मैक क्वीन को फिर से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस में गहरी पैठ रखने वाली इस स्मैक क्वीन ने कैसे जरायम की दुनिया में कदम रखा और कैसे 10 साल में बन गयी गोरखपुर की स्मैक क्वीन। इसके लिए हमने किशुन कुमारी की पिछले 10 सालों के कारनामों की फाइलें खंगाली और कई पुलिसवालों औद दूसरे लोगों से भी बात की। इसके बाद हम आपके लिए लेकर आए हैं ये गोरखपुर की स्मैक क्वीन की ये अनसुनी कहानी।

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कैसे बनी गोरखपुर की स्मैक क्वीन
गोरखपुर में फैजाबाद से करीब 14 साल पहले किशुन कुमारी उर्फ पंडिताइन पहुंची थी। उसके सपने भी एक आम युवती की तरह थे। वो हार्बट बांध पर रहती थी। ज़िंदगी बस गुज़र रही थी लेकिन आर्थिक तंगी ने उसके उन अरमानों का भी दम घोंटना शुरु कर दिया। ऐसे में किशुन कुमारी को बच्चों को पालन पोसने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। किशुन को गोरखपुर की स्मैक क्वीन बनाने का श्रेय भी गोरखपुर पुलिस को ही जाती है। इस बात का खुलासा खुद पंडिताइन उर्फ किशुन कुमारी ने किया। 10 साल पहले राजघाट पर तैनात दीवान ने उसको स्मैक बेचने की सलाह दी और रुपयों की किल्लत के चलते वो स्मैक बेचने लगी। राजघाट पर पप्पू कबाड़ी स्मैक का कारोबार करता था लेकिन किशुन कुमारी उर्फ पंडिताइन की बढ़ती सेल और तेज़ी से बढ़ता कारोबार देखकर वो पप्पू कबाड़ी की नज़रों में खटकने लगी। पप्पू कबाड़ी उसकी मुखबिरी करता तो पंडिताइन को बड़ा नुकसान होता था।

गोरखपुर पुलिस ने दी स्मैक क्वीन को शह
पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए किशुन ने पुलिस वालों से दोस्ती गांठनी शुरु कर दी। जिस्म और रुपयों की ताकत से इस नशे के काले कारोबार में उसको खाकी वर्दी की सरपस्ती मिली और उसका नेटवर्क दिन दूना रात चौगुणा रफ्तार से बढ़ता गया। शायद इसीलिए कहा जाता है कि गोरखपुर पुलिस ने ही उसको स्मैक क्वीन बनाया। आपको जानकार हैरत होगी कि कुछ साल पहले गोरखपुर की स्मैक क्वीन पंडिताइन ने जब शहर के जाने माने होटल से अपनी बेटी की शादी की। तो उसमें बड़ी तादाद में पुलिस वाले भी मेहमान बने थे। जो ये बताने के लिए काफी है कि पुलिस वालों में उसकी कितनी पैठ है।

वैसे जून 2015 में भी पुलिस ने स्मैक क्वीन किशुन कुमारी उर्फ पंडिताइन और उसके पति हरिनाथ पाण्डेय को रंगे हाथ स्मैक के साथ घर से ही गिरफ्तार किया था। लेकिन अपनी पहुंच और रुपयों के बलबूते वो छूट गयी और उसका स्मैक का कारोबार तज़ी से बढ़ने लगा।
गोरखपुर के पूर्व पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार ने NYOOOZ को बताया कि पुलिस तब स्मैक खरीददार बनकर ही स्मैक क्वीन के घर पहुंची थी। पुलिस को शाहपुर के खरैया पोखरा के पास रहने वाली पंडिताइन को लेकर लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। पुलिस टीम ने छापे के दौरान उसको और उसके पति को स्मैक की पुड़िया बनाते हुए पकड़ा था। स्मैक क्वीन पंडिताइन के खिलाफ शाहपुर में दो मामले थे जबकि उसके पति हरिनाथ के खिलाफ तीन मामले दर्ज थे।

स्मैक क्वीन का गोरखपुर में नेटवर्क
शहर में स्मैक के कारोबार को लेकर स्मैक क्वीन पंडिताइन को हर कोई जानता हैं। राजघाट में हावर्ट बंधे पर स्मैक बेचने वाली पंडिताइन ने जब शाहपुर में अपना नया ठिकाना बना था। वो अपने घर से स्मैक का कारोबार करने लगी। शाहपुर पुलिस उसको वर्ष 2014 में जेल भेज चुकी है। उसका पति हरिनाथ पांडेय तीन बार जेल जा चुका है। वैसे तो स्मैक बंटवारे को लेकर जब हत्या हुई तो उसमें भी स्मैक क्वीन किशुन का नाम आया लेकिन वो कानून के चंगुल में फंस नहीं पायी।

फिलहाल को गोरखपुर की ये स्मैक क्वीन की पुलिस से आंख मिचोली लम्बे समय से आंख मिचोली का खेल कर रही थी। लेकिन सीओ चारू निगम ने पंडिताइन को सलाखों के पीछे पहुंचा ही दिया। अब देखना होगा कि  स्मैक क्वीन से जुड़े पुलिस वालों पर पर शिकंजा कब कसता है।

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