गोरखपुर : साल 2017 में हुई 139 दहेज हत्याएं

संक्षेप:

  • आयोग के पास सबसे अधिक पहुंची दहेज उत्पीडऩ की शिकायतें
  • महिलाओं पर बढ़ते जा रहे अपराध
  • गोरखपुर 397 दहेज उत्पीडऩ

गोरखपुर - किसी महिला का जीवन जिन समस्याओं का नाम सुनते ही कांप उठता है, उनमें सबसे प्रमुख है दहेज. हालांकि शुरूआती दौर में दहेज़ लड़की के पिता की ओर से स्वेच्छा-से अपनी बेटी को दिया जाता था. शादी के समय बेटी को प्रोमोपहार देना अच्छी परंपरा थी. आज भी इसे प्रेम-उपहार देने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन हैरानी वाली बात तो यह है कि आज दहेज-प्रथा एक बुराई का रूप धारण करती जा रही है. आज दहेज प्रेमवश देने की चीज नहीं है, बल्कि अब अधिकार पूर्वक लेने की चीज बन गई है.

यही वजह है कि देश व समाज में सब कुछ बदलने के बाद भी महिलाओं के साथ होने वाली दहेज उत्पीडऩ व दहेज को लेकर की गई हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आज लड़के पक्ष के लोग लड़की पक्ष से जबरदस्ती पैसा, गाड़ी और सामान मांग रहे हैं और न मिलने पर वह अपनी बहु के साथ किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं. चाहे क्यूं न उसे मौत के घाट ही उतार देना पड़े. यही वजह है कि साल 2017 में नवंबर महीने तक गोरखपुर रेंज में 139 महिलाएं दहेज की बेदी पर फूंकी गई.

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गोरखपुर में हुई 38 महिलाओं की हत्या

पुलिस के आकड़ों के मुताबिक बीत रहे वर्ष 2017 में एक जनवरी से 30 नवंबर तक जहां गोरखपुर रेंज में 139 नव विवाहिताओं को दहेज के लिए मौत के घाट उतार दिया गया, वहीं सिर्फ गोरखपुर में इन 11 महीनों के दौरान 38 विवाहिताओं की दहेज के लिए हत्या कर दी गई. हालांकि कुशीनगर जिले यह आकड़ा सबसे अधिक 55 तक पहुंच गया. इसी तरह देवरिया में 30 और महराजगंज में 16 महिलाएं अपना दूसरा जीवन शुरू होते ही मौत की नींद सो गईं. हालांकि यह वे आकड़ें हैं जिनका पुलिस ने बकायदा केस दर्ज किया है. बल्कि ऐसे तमाम मामलों में पीडि़त पक्ष पुलिस थानों से लेकर कोर्ट के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसे न्याय तो दूर उसका केस तक नहीं दर्ज किया जाता.

बढ़ रही दहेज उत्पीडऩ की घटनाएं

इतना ही नहीं महिलाओं के साथ दहेज के लिए किए जाने वाले उत्पीडऩ की घटनाएं भी कम नहीं हैं. इस साल नवंबर महीने गोरखपुर रेंज में पुलिस ने दहेज उत्पीडऩ के कुल 546 मामले दर्ज किए. इनमें सबसे अधिक 397 मामले गोरखपुर में ही दर्ज किए गए हैं. वहीं देवरिया में 38, कुशीनगर में 53 और महराजगंज में दहेज उत्पीडऩ के 58 मामले पुलिस ने दर्ज किए. हालांकि पुलिस के आकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल 2016 की तुलना में यह आकड़े कम हुए हैं. लेकिन इनके कम होने की एक सबसे बड़ी वजह यह भी बताई जाती है कि ऐसे मामलों में पुलिस केस दर्ज करने से ही कतराती है. जो मामले पुलिस ने दर्ज भी किए हैं. उनमें अधिकांश या तो अधिकारियों की पहल पर दर्ज हुए या फिर कोर्ट के आदेश पर दर्ज किए गए हैं.

आयोग के पहुंची सबसे अधिक शिकायतें

यही वजह है कि सिर्फ गोरखपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के मामलों में महिला आयोग के पास साल 2017 में सबसे अधिक मामले दहेज उत्पीडऩ के ही पहुंचे हैं. राज्य महिला आयोग के आकड़ों के मुताबिक इस वर्ष अब तक आयोग के पास महिलाओं से जुड़ी कुल 35,398 शिकायतों में सबसे अधिक 5003 शिकायतें दहेज उत्पीडऩ की पहुंची. इसके साथ ही दहेज हत्या, घरेलू हिंसा, अपहरण, रेप, मारपीट आदि की शिकायतों की भी आयोग के पास बौछार लग गई. हालांकि डीआईजी नीलाब्जा चौधरी ने कहा कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकर पुलिस पूरी तरह सख्त है. पुलिस के पास जो भी मामले आ रहे हैं, उनमे तत्काल केस दर्ज कर कार्यवाई की जा रही है. यही वजह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल महिलाओं पर होने वाले अपराध में गोरखपुर रेंज में कमी आई है.

गोरखपुर महिलाओं के साथ अपराध

अपराध                   2017

दहेज हत्या                38

दहेज उत्पीडऩ           397

रेप                            82

अपहरण                  381      

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