गोरखपुर: इंसेफ्लाइटिस को रोकने के लिए प्रशासन ने मंगवाई गम्बूसिया मछली

संक्षेप:

  • इंसेफ्लाइटिस को रोकने के लिए मंगवाई गम्बूसिया मछली
  • गम्बूसिया मछली मच्छरों के लार्वा खाती है
  • इससे मच्छरों से होने वाले रोग नष्ट हो जाते हैं

सीएम योगी के शहर गोरखपुर समेत आसपास के इलाकों में इंसेफ्लाइटिस का कहर है। हर साल इंसेफ्लाइटिस से सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती है। इसी का समाधान निकालते हुए महाराजगंज प्रशासन ने गोरखपुर के गोरक्षधाम मंदिर से गम्बूसिया मछलियां मंगाई हैं। जानकारों के मुताबिक, गम्बूसिया मछली मच्छरों के लार्वा खाती है। इससे मच्छरों से होने वाले रोग नष्ट हो जाते हैं। प्रशासन ने मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव और मच्छरों के आतंक को देखते हुए गोरखपुर के भीमताल से लगभग 15 हजार गम्बूसिया मछलियां मंगवाई हैं।

जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर में सभी सीएससी और पीएचसी के गम्बूसिया मछलियों को तालाबों में डलवाया गया है। वहीं प्रशासन और गम्बूसिया मछलियां मंगवाने की योजना भी बना रहा हैष जिन्हें ग्रामीण इलाकों में तालाबों और नालों में डाला जाएगा। आपको बता दें कि पूर्वांचल में हमेशा से ही डेंगू और इंसेफ्लाइटिस का कहर बरपता है, जिससे हर साल सैकड़ों बच्चे काल के गाल में समा जाते हैं। प्रशासन के इस कदम के बाद बच्चों को मस्तिष्क ज्वर, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाया जा सके।

अगर इंसेफ्लाइटिस से होने वाले मौतों के आंकड़ों पर नजर डालें तो, इंसेफ्लाइटिस का पहला मामला 1977 में सामने आया था। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल करीब 600 लोग इसका शिकार होता है। इंसेफ्लाइटिस से साल 2016 में करीब 694 बच्चों की हुई मौत, साल 2015 में 521, साल 2014 में 661, साल 2013 में 656, साल 2012 में 580, 2011 में 606, साल 2010 में 553 मौतों के मामले सामने आए।

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आपको बता दें कि पिछले साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इस बुखार से एक ही दिन में 30 बच्चों की मौत होने से हड़कंप मच गया था। देशभर की मीडिया में यह मामला छाया रहा. इस कॉलेज में जापानी बुखार के चलते पिछले सीजन में 100 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी। बता दें कि यूपी के बाढ़ग्रस्त इलाके गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, संत कबीर नगर और सिद्धार्थनगर यह बीमारी सबसे ज्यादा पाई जाती है।

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