अपने भाई की बारात लेकर गोरखपुर गए थे अटल बिहारी वाजपेयी, कढ़ी चावल थे बेहद पसंद

संक्षेप:

  • अटल बिहारी वाजपेयी का निधन
  • सहबाला बनकर गोरखपुर आए थे अटल जी
  • दीक्षित परिवार से रहा खास रिश्ता

गोरखपुरः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो चुका है। उन्होंने एम्स में 5.05 मिनट पर अतिंम सांसे ली। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे प्रदेश में शोक की लहर छा गई। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और गोरखपुर का रिश्ता खास था। दरअसल, 1940 में अटल बिहारी वाजपेई अपने बड़े भाई स्वर्गीय प्रेम बिहारी वाजपेई की बारात में सहबाला बनकर आए थे। गोरखपुर के मथुरा प्रसाद दीक्षित की बेटी राजेश्वरी से अटलजी के बड़े भाई प्रेम बिहारी की शादी हुई थी। मौजूदा समय में मथुरा प्रसाद दीक्षित के परिवार के तमाम सदस्य गोरखपुर में रहते हैं, जिसमें अटल जी के रिश्ते में साले बृज नारायण दीक्षित सबसे बुजुर्ग अवस्था में हैं और परिवार के मुखिया के रूप में उनका सम्मान है।

अटल जी के निधन को लेकर गोरखपुर का यह परिवार बेहद दुखी है। गोरखपुर में अटल जी के बिताए एक- एक पल को यह परिवार याद कर भावुक हो जाता है। अटल बिहारी वाजपेई ने गोरखपुर के आपने इस रिश्ते को तमाम यात्राओं के दौरान कभी नहीं खोला, लेकिन 1996 की एक चुनावी जनसभा में इंटर कॉलेज में गोरखपुर वासियों की भारी भीड़ को देखते हुए अटलजी अपने अंदाज में गोरखपुर से अपने रिश्ते का खुलासा किया। उन्होंने मंच से कहा था कि मुझे गोरखपुर की तमाम गलियां याद हैं, क्योंकि मेरा बचपन में यहां कई बार आना जाना हुआ है। मैं तो यहां अपने बड़े भाई की शादी में सहबाला बनकर आया था। मेरी तब भी बहुत इज्जत और मान-सम्मान हुई थी और मुझे लगता है गोरखपुर के लोग वैसा ही प्यार इस चुनाव में भी अटल बिहारी को देंगे।

दीक्षित परिवार आज भी अटल जी की यादें अपने समेटे हुए हैं। उनके भाई के साले बृज नारायण दीक्षित कहते हैं कि अटल जी हंसमुख और मजाकिया अंदाज में हम सभी के बीच रहते थे। 1975 के बाद जब वह गोरखपुर आए तो घर परिवार में उनके सत्कार का जो दौर चला उसे अटलजी बेहद प्रभावित हुए। यही नहीं वह घर के लोगों का बनाया हुआ पकवान तो ग्रहण किए, लेकिन सुबह की बेला में अपने हाथों से लोगों को ठंडई का रसपान सभी को कराया। इसके बाद अटल जी 1994 में तब दीक्षित परिवार में आए जब उनके भाई के ससुर मथुरा प्रसाद दीक्षित का निधन हुआ था। यह परिवार मूलतः इटावा का रहने वाला है और चार पीढ़ियों पहले गोरखपुर में आकर बस गया था।

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अटल जी को परिवार के लोगों ने पहले की तरह हाथों हाथ लिया। उनके सम्मान में वह सब कुछ परोसना चाहा जो अटल जी को पसंद था, लेकिन अटल जी बेहिचक परिवार के बीच अपनी पसंद का इजहार किया और कढ़ी- चावल बनवा कर खाए। इस दौरान उन्होंने इस घर की एक बहू से अपना जूठा हाथ भी नहीं धुलवाया था और कहा था कि मैं सारा काम खुद करता हूं। इसलिए मेरा हाथ मुझे ही धोने दे। परिवार के लोग अटल जी के सरलता राजनीतिक और पारिवारिक मामले में स्पष्ट सोच के भी मुरीद है।

दीक्षित जी कहते हैं कि अटल जी ने बच्चों से कहा खुद को इस लायक बनाओ कि समाज तुम्हें खुद हाथों-हाथ ले ले। देश के प्रधानमंत्री हुए तो इस परिवार ने कभी भी उनसे किसी चीज़ की उम्मीद नहीं की, क्योंकि वह अटल जी के विचारों से वाकिफ थे। उन्हें अटल जी का यह संदेश, मेहनत ही इंसान को आगे ले जाता है,पहचान दिलाता है, इसलिए खुद की मजबूती ही जरूरी है।  और उनकी अभी  अपनों के बीच से जाने का दुःख समेटे हुए है।

कढी चावल खाकर ही जाते थे

यहां सभी लोग अटलजी के शौक से वाकिफ थे। उनको कढ़ी चावल और खीर बेहद पसंद थे। गोरखपुर के दीक्षित परिवार के लोगों का कहना है कि अटलजी जब भी गोरखपुर आते थे तो उनके परिवार में लोगों से मिलने जरूर आते थे लेकिन राजनीत वह घर की दहलीज के बाहर ही रखते थे। घर में वह एक ऐसे अटल के रूप में आते थे जिसको कढ़ी चावल और घर का बना हुआ घरेलू सामान ही ज्यादा पसंद होता था। इस परिवार के साथ अटल जी की महफिलें बैठा करती थी और उन महफ़िलों में अटलजी गीत गाया करते थे। परिवार के लोगों का कहना है कि जब वह प्रधानमंत्री बने तो कुछ लोगों ने उनसे मिलकर नौकरी के बारे में बात करनी चाही लेकिन अटल जी ने साफ मना कर दिया और अपने योग्यता के आधार पर काम पाने की उनको सलाह दी। अटल जी के परिजनों से उनके संस्मरणों के बारे में बात की।

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