Gorakhpur City Hospital: अंधेर नगरी, चौपट मैनेजमेंट, लाचार पेशेंट

संक्षेप:

अपने आप को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल होने का दवा कर करने वाले इस हॉस्पिटल का इंतज़ाम सरकारी हॉस्पिटल से भी गया गुज़ारा है।

हॉस्पिटल के वाशरूम तो इतने गंदे है कि अगर कोई मज़बूरी में इनका इस्तेमाल करले तो उसका बीमार होना निश्चित है।

सिटी हॉस्पिटल का ये दवा करना "one hospital total health solutions" अपने आप में एक बेईमानी है।

आप ने सुना होगा नाम बड़े और दर्शन छोटे या ऊँची दूकान फीके पकवान ये सारी कहावते गोरखपुर के सिटी हॉस्पिटल पे बिलकुल ठीक बैठती हैं। कोरोना महामारी के दौर में जहाँ एक तरफ लोग वैसे ही परेशान है तो वही दूसरी तरफ सिटी हॉस्पिटल जैसे प्राइवेट अस्पताल भी रही सही कसर पूरी कर दे रहे हैं। अपने आप को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल होने का दवा कर करने वाले इस हॉस्पिटल का इंतज़ाम सरकारी हॉस्पिटल से भी गया गुज़ारा है।

कोरोना के इस नाज़ुक वक़्त में यहां कोई सोशल डिस्टेंसिंग को न तो फॉलो कर रहा है ना ही हॉस्पिटल का मैनेजमेंट इसे लागु करवा रहा है। यहाँ तक की हॉस्पिटल में एंट्री करते समय किसी की थर्मल स्क्रीनिंग भी नहीं की जा रही, सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए गेट पर गार्ड को सैनिटाइजर दे दिया है जो आने वाले लोगो के हाथो पे छिड़क के कोरोना को मात दे रहा है और इतनी लापरवाही तब जब अभी 12 अगस्त को ही यहाँ कोरोना के एक मरीज़ के मिलने की पुष्टि भी की जा चुकी है ।

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जहाँ एक तरफ मोदी सरकार और योगी सरकार और वित्त मंत्रालय लोगो से अपील कर रहा है कि कोरोना के ट्रांसमिशन को रोकने के लिए कैशलेस ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल करें तो वही सिटी हॉस्पिटल में OPD के लिए कैश में ही लेन देन हो रही है। बाकी जाँच के लिए या दवा के लिए कार्ड से पेमेंट ली जाती है लेकिन OPD के लिए सिर्फ कैश से सूत्रों के मुताबिक वह इस लिए क्यूंकि OPD के डॉक्टर को हॉस्पिटल पेमेंट कॅश में करता है।

सिटी हॉस्पिटल के स्टाफ का रवैया भी गैरज़िम्मेदाराना है। मरीज़ो को ज़रूरी जांच के लिए घण्टो इंतज़ार करना पड़ता है, स्टाफ बिना किसी फिक्स्ड टाइम के अपनी मर्ज़ी से लंच और चाय पिने चले जाते है मरीज़ों को भगवान भरोसे छोड़ कर और हॉस्पिटल इसपे भी आँखें मूँद के बैठा रहता है।

जहाँ एक तरफ मोदी सरकार और योगी सरकार स्वच्छ भारत मिशन में लगी हुयी तो वही ये हॉस्पिटल उसको भी पलीता लगता नज़र आ रहा है।
हॉस्पिटल के कई कोनो में गन्दगी साफ़ दिख जाएगी। बेसमेंट की फर्श पे पानी 24 घंटे फैला रहता है। वही OPD की पर्ची भी बनती है और दवा भी मिलती है गीले फर्श पे कभी भी किसी के साथ हादसा हो सकता है कोई फिसल के गिर जाये तो हाथ पाँव टूटने के पुरे चांस हैं। हॉस्पिटल के वाशरूम तो इतने गंदे है कि अगर कोई मज़बूरी में इनका इस्तेमाल करले तो उसका बीमार होना निश्चित है।

अपने विज्ञापनों और सोशल मीडिया पे सिटी हॉस्पिटल का ये दवा करना "one hospital total health solutions" अपने आप में एक बेईमानी है।

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