क्या सीएम योगी के आक्रामक प्रचार से बीजेपी को हुआ फायदा?

संक्षेप:

  • 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम
  • राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीती कांग्रेस
  • मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर

गोरखपुर: 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी जहां राजस्थान और छत्तीसगढ़ हार चुकी है, वहीं मध्य प्रदेश में संघर्ष करती नज़र आ रही है, जबकि तेलंगाना का हाल और भी खराब है।

पिछले विधानसभा में तेलंगाना में बीजेपी के पास 5 सीटें थी, वहीं इस बार के चुनाव में 2 सीटों पर सिमटती दिख रही है। ये वही तेलंगाना है, जहां यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक से बढ़कर एक आक्रमक बयान दिए थे और हैदराबाद का नाम बदलने से लेकर ओवैसी परिवार को भगाने तक की बात कही थी। लेकिन उनका ये बयान भी बीजेपी की लुटिया डुबाने से नहीं बचा पाया।

सीएम योगी की प्रतिष्ठा पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि तीनों ही राज्यों में सीएम योगी ने जमकर रैलियां की थी और बीजेपी के मुख्य प्रचारकों में एक थे। सीएम योगी ने भी बीजेपी को जिताने के लिए अपने चिर-परिचित अंदाज में हिंदुत्व के मुद्दों को आगे रखते हुए कभी अली-बजरंगबली तो कभी राम मंदिर के मुद्दे को उठाते रहें। लेकिन चुनाव परिणाम से साफ पता चल रहा है कि मध्य प्रदेश में 17, छत्तीसगढ़ में 19, तेलंगाना में 8 और राजस्थान में 26 चुनावी सभाओं के बाद भी सीएम योगी का न तो हिंदूत्व को लेकर दिया गया जज्बाती  बयान और नहीं कांग्रेस पर करारा प्रहार नहीं शहरों के नाम बदलने की रणनीति जनता में जोश भर पाया।

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हालांकि अपनी पार्टी को भले जीत नहीं दिला पाएं हो लेकिन सीएम योगी ने 4 राज्यों की जिन 74 सीटों पर प्रचार किया था। इन 74 सीटों में से 49 पर भाजपा आगे चल रही है।

योगी आदित्यनाथ ने तेलंगाना में चुनावी रैली के दौरान असदुद्दीन ओवैसी पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि यदि तेलंगाना में भाजपा सत्ता में आई तो ओवैसी को हैदराबाद से उसी तरह से भागना पड़ेगा जैसे निजाम भागा था। भाजपा सरकार सभी को सुरक्षा मुहैया कराएगी लेकिन अराजकता फैलाने वालों को छोड़ेगी नहीं। विकाराबाद जिले के तंदूर कस्बे में लोगों को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस और टीआरएस पर मुस्लिमों के तुष्टिकरण और धर्म के आधार पर योजनाएं बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा नीतियां बनाने में धर्म, जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं करती है। उनके इस बयान पर बाद में ओवैसी ने भी पलटवार किया था।

इससे पहले योगी आदित्यनाथ के प्रचार करने से भाजपा को फायदा मिला था, जिसको देखते हुए उनसे काफी उम्मीदे थीं। त्रिपुरा में भी उनके प्रचार से पार्टी फायदे में रही। वहीं अगर कर्नाटक विधानसभा चुनावों की बात करेें तो यहां भी जिन क्षेत्रों में योगी की रैली या फिर रोड शो कराए गए, वहां भाजपा के ज्यादातर प्रत्याशियों को जीत मिली। नाथपंथ से संबंधित वोटरों को रिझाने में भी योगी कामयाब रहे हैं। नाथपंथ बहुल वाली ज्यादातर विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने परिवर्तन रैली निकाली थी। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हिस्सा लिया था। वह हुबली से परिवर्तन यात्रा में शामिल हुए थे। चुनाव की तारीखें घोषित हुईं तो योगी को स्टार प्रचारकों की सूची में रखा गया। योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में ताबड़तोड़ 33 रैलियां की थीं और रोड शो करके वोटरों को रिझाया था।  

जिन क्षेत्रों में वे गए, वहां भीड़ जुटी। अब नतीजे घोषित हुए तो योगी के प्रचार वाले क्षेत्रों के ज्यादातर भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली है। जिन क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी हारे हैं, वहां कांग्रेस या फिर जेडीएस प्रत्याशियों की जीत का अंतर कम है। इसी तरह त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भी योगी का जादू चला था। 

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