ऑक्सीजन कांड: ‘मेरे माता-पिता निर्दोष, अब न्याय पाने के लिए बेचनी पड़ेगी प्रॉपर्टी’

संक्षेप:

  • बीआरडी कांड में आरोपी डॉ राजीव मिश्रा का बेटा न्याय के लिए भटक रहा
  • इस लड़ाई में खत्म हुई पूरी पूंजी, उधार मांग कर चला रहे काम डॉ पूरक
  • डॉ पूरक ने कहा- न्याय के लिए बेचनी पड़ सकती है प्रॉपर्टी

गोरखपुर: गोरखपुर में बीआरडी कांड ने सबको हिलाकर रख दिया। मेडिकल कालेज में मासूमों मौत को देख हर कोई दंग था। मामले में कार्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने 9 लोगो को दोषी माना और जेल के पीछे डाल दिया। ऐसे में उस घटना में मुख्य अभियुक्त के रूप में जेल में बंद प्राचार्य डॉ राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी को भी दोषी पाते हुए जेल में जाना पड़ा था। जिसको लेकर डॉ राजीव मिश्रा के बेटे के लगातार उन्हें निर्दोष बताया रहे है साथ ही सरकार से निष्पक्ष जांच कराने की बात भी कह रहे है।

डॉ राजीव मिश्रा के बेटे डॉ पूरक का कहना कि जांच में ही पता चलेगा कि असली दोषी कौन है। जो आरोप उनके पिता पर लगाए गये हैं वह गलत है क्योंकि उसके पहले मानवाधिकार आयोग को भी डा. राजीव मिश्रा ने डीजीएमई के शान्त रहने के बारे मे लिखा था जो ऑक्सीजन कांड का मुख्य आरोपी दिखता है और उसी को इस घटना का वादी बना दिया गया और जांच भी सौंप दिया गया।

दरअसल, डॉ पूरक अपने बीमार पिता-माता के लिए लडाई लड़ रहा है, इस लड़ाई में उसकी पूरी पूंजी खत्म हो गई है। वह लोगों से उधार मांग कर काम चला रहा है। दिल्ली में हॉस्पिटल की नौकरी छोड़कर वह अपने मां-बाप से मिलने के लिए जेल में आए दिन जाता है। लेकिन अब लगता है कि शायद उसे अपनी प्रापर्टी भी बेचनी पड़ सकती है। डाक्टर पूरक के मुताबिक, बच्चों की मौत से पहले DGME को प्रिंसिपल राजीव मिश्रा जी ने पत्र लिखकर अवगत कराया था, लेकिन DGME ने कोई भी जवाब नहीं दिया और हादसा हो गया। DGME का शांत रहना बच्चों की मौत का कारण बना इस हिसाब से DGME ही बच्चों की मौत का मुख्य अभियुक्त हुआ।

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मेडिकल कॉलेज को 1974 से लगातार देख रहे डॉक्टर राजीव मिश्रा के लिए मेडिकल कॉलेज ऐसा जहर बन जाएगा उन्होंने सोचा नहीं होगा। चार दशक कुल 44 साल सेवा देने के बाद DGME की छोटी सी भूल ने राजीव मिश्रा और उनके परिवार को बिखेर कर रख दिया। नौबत ये नौकरी भी गयी परिवार भी ठोकर खा रहा है और अब प्रापर्टी भी विक सकती है।

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