गोरखपुर: गिले-शिकवे भूल ईद के मौके पर गले मिलकर दी बधाईयां

संक्षेप:

  • देश में मनाया जा रहा ईद का त्योहार
  • मस्जिदों में नमाजियों की भारी भीड़
  • एक दूसरे से गले मिलकर दी बधाईयां

ईद-उल-फितर का पर्व पूरे देश में बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। गोरखपुर में ईद के पर्व की रौनक देखने को मिली। सुबह से ही नमाजियों की भारी भीड़ ईद की नमाज अदा करने के लिए मस्जिदो की तरफ उमड़ी। सभी ने खुदा की इबादत में अपने सिर को झुका दिया और ईद की नमाज अदा की। जिसके बाद सभी एक दूसरे से गले मिले और ईद की मुबारक बाद दी। साथ ही यह अपील भी की कि सभी इस त्यौहार को साम्प्रदायिक सौहार्द के साथ मनाए और लोगों ने देश में आपसी भाई चारा बने रहने की दुआ की। ईद के पर्व को मद्दे नजर रखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

मान्यता है कि रमजान महीने की 27वीं रात को कुरान का नुजूल यानी अवतरण हुआ था। हिजरी कैलेण्डर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है। एक ईद को ईद-उल-फितर और दूसरी को ईद-उल-जुहा कहा जाता है। आज ईद-उल-फितर मनाई जा रही है। ईद-उल-फितर को सिर्फ ईद या मीठी ईद भी कहते हैं। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नए कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं। वहां नमाज पढ़कर एक दूसरे के गले लगते हैं और ईद की बधाई देते हैं।

ईद के मायने

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दुनियाभर के मुसलमानों के लिए ईद खुशी का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। ये दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि पूरे रमज़ान में रोज़े रखने के बाद ये दिन मुसलमानों के लिए अल्लाह की तरफ से एक तोहफा है। 30 दिन के रोजे के बाद ईद-उर-फितर खुशियों का पैगाम लेकर आता है। ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होनें महीने भर रोजे रखने की शक्ति दी।

इस ईद को ईद-उल-फितर कहा जाता है। ईद के दिन सुबह पहले नमाज़ पढ़ी जाती है, जिसके बाद लोग आपस में एक दूसरे को इस दिन की मुबारकबाद देते हैं। इस दिन लोग अपने सभी गिल शिकवे भूलाकर आपस में गले मिलते हैं।

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