गोरखपुर कैंट स्टेशन पर बनेंगे पांच प्लेटफार्म, लंबी दूरी वाली ट्रेनों के यात्रियों को मिलेगा फायदा

संक्षेप:

  • वाराणसी, छपरा और नरकटियागंज रूट की डेमू, मेमू और पैसेंजर ट्रेनें नए साल में कैंट स्टेशन से चलेंगी.
  • इसके लिए पांच नए प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं.
  • सेटेलाइट कैंट स्टेशन के प्रथम चरण का काम मार्च 2020 तक पूरा हो जाएगा. 

गोरखपुर : वाराणसी, छपरा और नरकटियागंज रूट की डेमू, मेमू और पैसेंजर ट्रेनें नए साल में कैंट स्टेशन से चलेंगी। इसके लिए पांच नए प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं। नई व्यवस्था का सर्वाधिक फायदा लंबी दूरी वाली ट्रेनों के उन यात्रियों को मिलेगा, जिन्हें जंक्शन पर प्लेटफार्म खाली न होने के चलते कई बार घंटों इंतजार करना पड़ता था।

सेटेलाइट कैंट स्टेशन के प्रथम चरण का काम मार्च 2020 तक पूरा हो जाएगा। आरपीएफ भवन तैयार है, जो दिसंबर से इस्तेमाल में आ जाएगा। यहां वाशिंग पिट बनने से गाड़ियां टर्मिनेट (वापस) हो सकेंगी। पूर्वी-पश्चिमी केबिन के साथ नए भवन, प्लेटफार्म की दीवार का काम जारी है। रेलवे कालोनी बनाने के साथ मुख्य द्वार को भी चौड़ा किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड ने इसे लिए 32 करोड़ का बजट दिया है।

कैंट पर घंटो खड़ी रहती हैं गाड़ियां

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मुंबई, कोलकाता, असम और बिहार से आने वाली लंबी दूरी की ट्रेनें हों या पैसेंजर, इंटरसिटी और कृषक। कैंट स्टेशन पर अक्सर इन गाड़ियों के घंटों रुक जाने से यात्रियों और रेल कर्मचारियों के बीच नोकझोंक होना आम बात है। यात्री कहते हैं ट्रेन बेवजह खड़ी है, जबकि कर्मचारी जंक्शन पर प्लेटफार्म खाली न होने की बात कहते हैं। पांच नए प्लेटफार्म बनने और पैसेंजर ट्रेनों का संचालन यहीं से होने पर यह दिक्कत खत्म हो जाएगी। एम्स के गेट से सीधे जुड़ेगा कैंट: कैंट स्टेशन और एम्स के गेट को सड़क मार्ग से जोड़ने का भी प्रस्ताव है। स्टेशन के दक्षिण तरफ मार्ग के लिए रेलवे प्रशासन ने सेना को पत्र लिखा है। अगर भूमि मिल गई तो रास्ता सीधा एम्स तक हो जाएगा। रेलवे क्रासिंग पर रोड ओवर या अंडर ब्रिज बनाने की भी तैयारी है।

कैंट स्टेशन को सैटेलाइट के तौर पर विकसित किया जा रहा है। निर्माण कार्य प्रगति पर है। कार्य पूरा हो जाने से गोरखपुर स्टेशन का भार कम हो जाएगा। यात्रियों को उच्चस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी।
- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

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