गोरखपुर खाद कारखाने का रबर डैम है बुलेट प्रूफ, नहीं होगा बंदूक की गोली का भी असर

संक्षेप:

खाद कारखाने के अफसरों ने मुख्यमंत्री को बताया कि निर्माण कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है। परीक्षण चल रहा है। तय समय जुलाई 2021 में कारखाना उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगा। एचयूआरएल के वरिष्ठ प्रबंधक सुबोध दीक्षित ने बताया कि चार मार्च को रबर डैम का लोकार्पण तय हुआ है।

गोरखपुर: गोरखपुर के चिलुआताल में कोरियन तकनीक से तैयार खाद कारखाने के रबर डैम का चार मार्च को केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकार्पण करेंगे।

करीब 32 करोड़ की लागत से बने रबर डैम का परीक्षण सफल रहा है। पूर्वांचल का पहला रबर डैम, खाद कारखाने की 1450 क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत को पूरा करेगा। गोरखपुर दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद कारखाने का निर्माण करा रही हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के अफसरों के साथ बैठक कर लोकार्पण की तैयारियों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने खाद कारखाने के निर्माण की प्रगति की समीक्षा भी की है।

खाद कारखाने के अफसरों ने मुख्यमंत्री को बताया कि निर्माण कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है। परीक्षण चल रहा है। तय समय जुलाई 2021 में कारखाना उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगा। एचयूआरएल के वरिष्ठ प्रबंधक सुबोध दीक्षित ने बताया कि चार मार्च को रबर डैम का लोकार्पण तय हुआ है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री और मुख्यमंत्री आएंगे। लोकार्पण की तैयारियां पूरी हो गई हैं।

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गोरखपुर के निर्माणाधीन यूरिया प्लांट को संचालित करने के लिए रोज 1450 क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी। इसके लिए चिलुआताल को गहरा किया गया है। इसी से पानी को प्लांट तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए कोरिया से रबर डैम मंगवाया गया है। सीमेंट का फाउंडेशन बनाकर इसे स्थापित किया जा चुका है। इसे चिलुआताल के बगल से गुजर रही रेलवे लाइन की तरफ स्थापित किया गया है। कोरियन तकनीक से बने रबर डैम की खासियत है कि यह हवा से भरा रहेगा। जब डैम के पूरब पानी ज्यादा हो जाएगा तो डैम से थोड़ी हवा निकाल दी जाएगी। इससे पानी दूसरी तरफ चला जाएगा। यदि दूसरी तरफ पानी ज्यादा होगा तो फिर इसी प्रक्रिया से पानी इस पार कर दिया जाएगा।

चिलुआताल में लगा रबर डैम बुलेट प्रूफ है। रबर डैम पर बंदूक की गोली का भी कोई असर नहीं होगा। इस डैम की चौड़ाई (बुनियाद) 19 मीटर है। डैम की लंबाई 64.5 मीटर और ऊंचाई दो मीटर है। रबर डैम को बनाने में 32 करोड़ रुपये खर्च हुआ है। आंधी, तूफान और बाढ़ में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो इसके लिए दोनों तरफ कंक्रीट की बुनियाद तैयार की गई है। रबर डैम इसी के सपोर्ट से मजबूती से टिका रहेगा। फरीदाबाद और मुंबई की कंपनी यूविल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने इसे बनाया है।

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