एमआरआई के लिए जिला अस्पताल के मरीजों भेजे जा रहे मेडिकल कॉलेज, लंबी वेटिंग के चलते निजी सेंटर जाने को मजबूर

संक्षेप:

  • एमआरआई के लिए जिला अस्पताल के मरीजों भेजे जा रहे मेडिकल कॉलेज।
  • मेडिकल कॉलेज में एमआरआई के लिए दिसंबर तक लंबी वेटिंग।
  • निजी जांच सेंटरों में जाने को मजबूर है मरीज।

गोरखपुर. गोरखपुर जिला अस्पताल में लाखों रुपये खर्च कर स्थापित किए गए एमआरआई (मैग्नेटिग रेजोनेंस इमैजिंग) केंद्र का काम जांच के लिए आने वाले मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज का रास्ता बताना भर रह गया है। 27 जनवरी, 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र में मशीन लगाने के काम का शिलान्यास किया था। लेकिन, तीन साल में भी मशीन स्थापित नहीं हो सकी। स्वास्थ्य कर्मी मरीजों को मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दे रहे हैं। पता चला कि मेडिकल कॉलेज में सोमवार को नंबर लगवाने पर दिसंबर में जांच हो सकेगी। ऐसे में मरीज ने ज्यादा रकम खर्च कर निजी केंद्र पर जांच करा रहे हैं।

रोजाना निराश होकर लौटते है 50 से ज्यादा मरीज

आंकड़ों के अनुसार हर रोज जिला अस्पताल में आठ से 10 मरीज ऐसे आते हैं जिन्हें एमआरआई की सलाह दी जाती है। लेकिन, यहां जांच की सुविधा न होने के कारण मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। इससे मेडिकल कॉलेज पर बोझ बढ़ता जा रहा है। मेडिकल कॉलेज जिले का इकलौता सरकारी संस्थान है, जहां पर मरीजों को निजी पैथालॉजी से बेहद कम रेट पर एमआरआई की सुविधा उपलब्ध है। यही वजह है कि यहां एमआरआई कराने हर रोज 60 से 70 मरीज पहुंच रहे हैं। जबकि एक दिन में सिर्फ 15 से 16 एमआरआई जांच ही हो पाती है। ऐसे में रोजाना 50 से ज्यादा लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है।

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निजी सेंटर के मुकाबले मेडिकल कॉलेज में 2500 में होती है जांच 

जिला अस्पताल में औसतन 10 मरीज हर दिन एमआरआई के लिए आते हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमआरआई जांच का खर्च 2,500 रुपये है। जबकि, निजी सेंटरों पर यहीं जांच कराने के लिए पांच से छह हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। 

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि जिला अस्पताल में एमआरआई बिल्डिंग बनकर तैयार है। लेकिन, मशीन न मिलने की वजह से इसका इस्तेमाल कोरोना टीका लगाने में किया जा रहा है। मशीन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश कुमार ने कहा कि बीआरडी में आने वाले मरीजों की एमआरआई की जा रही है। इमरजेंसी में आने वाले मरीज प्राथमिकता में होते हैं। इनमें 70 फीसदी मरीजों को सिर में चोट लगने की शिकायत होती है। इससे सामान्य मरीजों की जांच में समय लगता है।

जांच में देरी से बढ़ सकती है समस्या

डीएम न्यूरो डॉ. अनुराग सिंह विशेषज्ञों ने बताया कि एमआरआई की सलाह उन मरीजों को दी जाती है जिन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती है या फिर न्यूरो से संबंधित समस्याएं होती है। ऐसी स्थिति में मर्ज पकड़ कर तत्काल इलाज शुरू करना जरूरी होता है। जांच में देरी से परेशानी और बढ़ सकती है।

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