गोरखपुर में राप्ती और घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ा

संक्षेप:

  • राप्ती और घाघरा नदी का लगातार बढ़ रहा जलस्तर
  • अवैध खनन से कमजोर हुए बांध
  • बाढ़ के खतरे से ग्रामीण दहशत में

गोरखपुर: भारी बारिश के कारण गोरखपुर में राप्ती और घाघरा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे नदियों का दबाव अब बंधों की तरफ बढ़ने लगा है। अवैध खनन से बंधों पर पानी का दबाव बढ़ रहा है।

एक तरफ इन बांधो के आस-पास के गांव वालों की रातों की नींद उड़ गई है तो दूसरी तरफ प्रशासन को भी ऐन मौके पर ही जागता है। नदी में होते अवैध खनन और बंधों के किनारे से मिट्टी की चोरी ने बंधो को कमजोर करके रख दिया है। इससे राप्ती नदी पर बने लहसडी बंधे के आस-पास बसे गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। इससे ग्रामीण दहशत में आ गए हैं।

लहसडी गांव के लोग कहते हैं कि नदी से लोग बालू, मिट्टी ट्रैक्टर और डंफर पर लादकर उठा ले जाते हैं। इन सब हरकतों पर प्रशासन मौन है। जिले में राप्ती नदी में पानी का दबाव नेपाल से छोड़े जाने वाले पानी से बढ़ता है।

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


यही नदी जब बड़हलगंज के पास पहुंचती हैं तो यह घाघरा का नाम हो जाता है। घाघरा का वेग तटबंधों पर दबाव बनाता है तो लोगों की रूह कांपने लगती है। गोरखपुर के उत्तरी छोर पर स्थित बेलघाट सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इस नदी से सबसे ज्यादा शाहपुर, कटहरा आदि गांव प्रभावित होते हैं।

हर साल ग्रामीणों का आशियाना तबाह हो जाता है। यह अपने जीवन को बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों पर अपना सब-कुछ छोड़ कर चले जाते हैं| हर बार इन्हें प्रशासन की तरफ से केवल आश्वासन ही मिलता है। सरयू नदी के प्रकोप से बचाने के लिए यहां पर बांधो का खस्ता हाल है। मौजूदा समय में नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। लगातार मिट्टी की कटान हो रही है। प्रशासन बोल्डर और बांस का जाल डालकर कटान रोकने का उपाय कर रहा है।

लहसडी बंधे पर डाली गई मिट्टी पूरी तरह से खिसक गई है। बंधे की नई पटान में दरार देखी जा सकती है। अगर इसी तरह से घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ता रहा तो यह बंधा कभी भी टूट सकता है। घाघरा के धारा बदलने की प्रमुख वजह अवैध बालू खनन है। पहले नदी बंधों से काफी दूर बहा करती थी। बंधे और नदी के बीच की दूरी हर साल पटती थी और पानी फैल जाता था।

बाढ़ खत्म होने पर नदी सफेद बालू छोड़ जाती थी। इसे खनन माफियाओं ने जमकर लूटा। यही वजह है नदी ने खनन वाले रास्ते पर अपनी धारा मोड़ लेती है। विशेषज्ञों को कहना है कि धारा के बदलने के लिए अवरोध खड़ा कर बालू खनन रोककर प्रयास किया जा सकता है। वही बंधों के किनारे बसे लोग जैसे-जैसे नदी में पानी बढ़ता है, लोग चिंता में पड़ने लगते हैं। साल 1998 में आई भयंकर बाढ़ को इन्होंने झेला है। पिछले साल भी नदी ने अपना भयंकर रूप इन्हें दिखाया था।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य गोरखपुर की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles