हरिद्वार: एकाकी जीवन जी रहे बुजुर्गों के लिए बनेगा `गोल्डन एज होम`

संक्षेप:

  • आधुनिक समाज में हो रही बुजुर्गों की उपेक्षा
  • ये समस्या अब महानगरों से छोटे शहरों में पहुंच रही है
  • हरिद्वार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए गोल्डन एज होम बनेगा

हरिद्वार- भागमभाग की जिंदगी, बच्चों का अपने अभिभावकों से दूर रहना या अन्य कारणों से परिवार वालों की उपेक्षा करना एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। मुम्बई का ऐसा ही एक प्रकरण प्रकाश में आया था जहां एक मां ने अपने बेटे के इंतजार में अपनी जान गंवा दी तथा जब बेटा डेढ़ साल बाद अपनी मां के पास आया तब उसे सिर्फ सूखा कंकाल मिला।

यह समस्या अब महानगरों के रास्ते होते हुए छोटे शहरों में भी पहुंच रही है। कथित सभ्य समाज की इस बर्बर सच्चाई के आगे मानवता शर्मसार है। इन सब से निजात के लिए हरिद्वार के ही वरिष्ठ नागरिक आगे आये हैं। आर्थिक रूप से संपन्न वरिष्ठ नागरिकों को अपने बच्चों से अलगाव के बाद अकेलापन महसूस ना हो इसलिए जल्द ही हरिद्वार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए गोल्डन एज होम बनेगा।

आज पैसे और विलासितापूर्ण जीवनशैली की अंधी चाह ने संस्कारों को खत्म करने का काम किया है। कुछ आज की पीढ़ी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ चुकी है वहीं कुछ लोग अन्य शहरों या विदेशों में सैटल होने के कारण अपने मां-बापों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते। महानगरों में ये समस्या आम है जहां बच्चे अपने-अपने परिवारों में मस्त हैं। या तो वह विदेशों में नौकरी कर रहे हैं या भारत में ही अन्य शहरों में सैटल हैं।

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ऐसी स्थिति में अपनी खून पसीने की कमाई बच्चों पर खर्च करने वाले मां-बाप उम्र के आखिरी पड़ाव में अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं। उम्र के जिस पड़ाव पर उन्हें सर्वाधिक अपने बच्चों की जरूरत होती है वही समय वह अकेले रहने को मजबूर है। सैकड़ों ऐसे उदाहरण हैं जिनमें उनके पास पैसे आदि की कमी नहीं परन्तु उनकी कोई देखरेख करने वाला नहीं है। महानगरों से फैलती हुई यह महामारी अब छोटे शहरों को भी अपनी गिरफ्त में लेने लगी है। वरिष्ठ नागरिकों को भी बचे जीवन में सुरक्षा मिले तथा वह आराम से रह सकें इसी को सोचते हुए हरिद्वार के ही वरिष्ठ नागरिकों ने एक अनूठी पहल की है। सीनियर सिटीजन फोरम हरिद्वार अब अन्य लोगों की मदद से गोल्डन एज होम बना रही है जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए रहने की सुविधा होगी। फोरम के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजसेवी सर्वेश गुप्ता कहते हैं कि हमारे साथ कई परिवार ऐसे हैं जिनके बच्चे विदेशों या अन्य शहरों में नौकरी कर रहे हैं यहां लोग अकेले हैं जिनकी दवा एवं अन्य जरूरतें समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं। इसी सब को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण किया जा रहा है।

गुप्ता मानते हैं कि सामाजिक मूल्यों का तेजी से पतन हुआ है तथा अक्सर बच्चे अपने मां-बाप को बोझ समझने लगे हैं। इस गोल्डन एज होम के बारे में उन्होने बताया कि उनके फोरम में लगभग 700 सदस्य हैं तथा फोरम के संरक्षक द्वारा इस गोल्डन एज होम के लिए 7500 फुट जगह लीज पर दी गयी है। इस जगह पर 25 डबल बैडेड रूम का निर्माण किया जाएगा जिसमें सभी सुविधाएं होंगी। इसके साथ ही सभी के लिए कॉमन रूम आदि की सुविधाएं रहेंगी। श्री गुप्ता कहते हैं कि जो लोग मध्यम या गरीब तबके से ताल्लुक रखते हैं उनके लिए डे केयर होम बनाना प्रस्तावित है।

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