हरिद्वार: सिंचाई विभाग की इन तीन परियोजनाओं में हुआ करोड़ों का घोटाला, पढ़िए पूरी खबर

संक्षेप:

  • सिंचाई विभाग की तीन परियोजनाओं में हुआ करोड़ों का घोटाला
  • हरिद्वार के एक निवासी ने सूचना के अधिकार के तहत सिंचाई विभाग हरिद्वार से मांगी थी सूचना
  • शासन की ओर से जांच कमेटी की गई गठित

हरिद्वार। उत्तराखंड में एक और घोटाला सामने आया है। हरिद्वार में सिंचाई विभाग की तीन परियोजनाओं में करोड़ों का घोटाला सामने आ रहा है। शासन तक इसकी शिकायत की जा चुकी है। इन परियोजनाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को भी पलीता लगाया गया है। सोलानी नदी के लिए केंद्र पोषित योजना में भी करोड़ों रुपये ठिकाने लगा दिए हैं।किसानों को भूमि अधिग्रहण के लिए आए मुआवजे को खर्च कर दिया है जबकि किसानों को 1 रुपये तक नहीं मिला है। 

इस तरह हुआ घोटालों का खुलासा 

हरिद्वार निवासी रतनमणि डोभाल ने सूचना के अधिकार के तहत सिंचाई विभाग हरिद्वार से सूचना मांगी थी। जिसमें तीन परियोजनाओं में घोटाला सामने आया है। उन्होंने बताया कि एसटीपी प्लांट से माजरी गांव तक डाली गई 10 किलोमीटर की लाइन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। स्वीकृत डिजाइन के हिसाब से इसको नहीं बनाया गया था। एक साल भी यह परियोजना नहीं चल सकी। 24 करोड़ इस परियोजना में खर्च किए गए हैं।

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नमामि गंगे के तहत डाली गई थी दस किमी पाइप लाइन

नाबार्ड योजना के तहत जगजीतपुर एसटीपी प्लांट से गांव माजरी लक्सर तक 10 किलोमीटर की पाइप लाइन बिछाई गई थी। जिसमें सीवरेज ट्रीटमेंट से निकलने वाले शोधित जल को खेती के लिए इस्तेमाल किया जाना था। इसके लिए योजना बनाकर 24 करोड़ की भारी-भरकम धनराशि आवंटित 2017 में की गई थी। 2020 में यह योजना पूरी हो गई। सिंचाई खंड हरिद्वार की ओर से ठेका दिया गया था। योजना के तहत बनाई गई लाइन का बड़ा हिस्सा बिना इस्तेमाल किए ही ढह गया है। यह योजना प्रधानमंत्री के नमामि गंगे परियोजना के तहत तैयार की गई थी।

मुआवजा राशि की रकम विभाग ने कर दी खर्च

केंद्र पोषित योजना यूके 13 के अंतर्गत 20 करोड़ की परियोजना सोलानी नदी के तटबंध बनाने की योजना तैयार की गई थी। वर्ष 2013 में तैयार हुई यह योजना 8 साल से अपने पूरे होने का इंतजार देख रही है। 350 लाख रुपये इस योजना के तहत ग्रामीणों की मुआवजा राशि के लिए दिए गए थे। आरोप है कि विभाग ने इन रुपयों को कहीं और खर्च कर दिया। किसानों से जमीन ही नहीं ली गई। 350 लाख रुपये इस योजना के नाम पर खर्च कर दिए गए हैं। इसकी शिकायत शासन तक की गई है। 2019 में इस योजना का बजट दोगुना किया गया था।

धरातल पर नहीं, कागजों में बना डाली नहर

उत्तराखंड सिंचाई विभाग की ओर से सुभाष गढ़ सराय क्षेत्र के लोगों को पानी की उपलब्धता के लिए 4500 मीटर की नहर और 13 किलोमीटर गूल का निर्माण होना था। 6.86 करोड़ इस योजना के तहत जारी किए गए थे। 2017 में योजना स्वीकृत हुई थी 2019 में इसका काम बंद हो गया। कागजों में 4500 मीटर की नहर का निर्माण हुआ है जबकि मौके पर 1400 मीटर की नहर ही बनाई गई है। कागजों में यह निर्माण पूरा हो चुका है। सुभाष गढ़ सराय वाली योजना को कागजों में 2019 मार्च में पूरा होना दिखाया गया है। लोकल स्तर पर हुई जांच में सामने आया है कि योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतरी है। जबकि भुगतान कर दिया गया है।

शासन की ओर से जांच कमेटी की गई गठित

अधीक्षण अभियंता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से शासन को पूरे मामले की जांच करने के लिए लिखा जा चुका है। सुभाष गढ़ सराय क्षेत्र की योजना के लिए शासन की ओर से जांच कमेटी गठित कर दी गई है। जबकि अन्य 2 मामलों के लिए उन्होंने शासन को पत्र लिखा है। 

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