हरिद्वार पहुंचे हिंदू वापस नहीं जाना चाहते पाकिस्तान, कह रहे हैं ये बात

संक्षेप:

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) में 2014 से पहले आए परिवारों को भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार है। जल्द नागरिकता मिलने की प्रार्थना करने के लिए 100 से अधिक शरणार्थी बुधवार को हरिद्वार मां गंगा की शरण में पहुंच गए हैं।

हरिद्वार। हरिद्वार ने पाकिस्तान से आए हिंदुओं को जीने की नई उम्मीद दी है। हरिद्वार की धार्मिक यात्रा के वीजा पर पाकिस्तान से आने वाले सैकड़ों हिंदू परिवार अब कभी लौटना नहीं चाहते हैं। परिवार बतौर शरणार्थी दिल्ली में रहते हैं। बीते कई सालों से सालाना वीजा की अवधि बढ़वा रहे हैं।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) में 2014 से पहले आए परिवारों को भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार है। जल्द नागरिकता मिलने की प्रार्थना करने के लिए 100 से अधिक शरणार्थी बुधवार को हरिद्वार मां गंगा की शरण में पहुंच गए हैं। गंगा स्नान कर वापस दिल्ली लौट जाएंगे। मुगल आक्रमण के दौर में राजस्थान से कई परिवार पलायन कर गए। कइयों ने अविभाजित हिंदुस्तान के सिंध प्रांत में शरण ली।

हिंदुस्तान के बंटवारे के बाद सिंध प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा बन गया। पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदियां लगने लगी। विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने के बाद पाकिस्तान में हिंदू परिवारों का उत्पीड़न बढ़ने लगा। कई परिवार समय-समय पर कामधंधे, खेतीबाड़ी और घरों को छोड़कर भारत में शरण लेने लगे। 2012 से 2016 तक पाकिस्तान से 250 परिवार धार्मिक यात्रा वीजा पर हिंदुस्तान आए। इनमें 70 फीसदी के पास हरिद्वार गंगा स्नान का वीजा है।

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हिंदुस्तान की सरजमीं पर कदम रखने के बाद परिवार वापस पाकिस्तान नहीं गए। दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 25 प्रह्लाद नगर में बतौर शरणार्थी रहते हैं। ओएमजीएसबी सोशल डेवलपमेंट ट्रस्ट चेयरमैन शिव कुमार सोलंकी बताते हैं हिंदू परिवारों को ट्रस्ट ने शरण दी है। परिवार रेहड़ी पटरी लगाकर और मजदूरी कर परिवार पाल रहे हैं। उनके बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल तक खोला गया है।

हर साल उनका वीजा की अवधि बढ़ाई जा रही है। 31 दिसंबर 2014 से पहले आए परिवारों की वीजा अवधि इस साल नहीं बढ़ी है। संभवत ऐसे परिवारों को भारतीय नागरिकता मिलने की उम्मीद है। शरणार्थी परिवारों के रिश्तेदार और परिवार के कई सदस्य अभी पाकिस्तान में रहते हैं।

हमारे वंशज राजस्थान से हैं। मेरा जन्म पाकिस्तान में हुआ। मैं कभी वहां लौटना नहीं चाहता। 12 बीघा जमीन और घर को छोड़कर 2013 में बच्चों के साथ हरिद्वार यात्रा के वीजा पर हिंदुस्तान आ गए।
- हनुमान सिंह सोलंकी, सिंध

2017 में परिवार के तीस लोगों के साथ हरिद्वार धार्मिक यात्रा के वीजा पर आए। खेतीबाड़ी और घर पाकिस्तान में चाचा-ताऊ को छोड़कर आ गए। चाचा और अन्य लोगों से बातचीत होती है और वह भी हिंदुस्तान आना चाहते हैं।
- मोहिनी, सिंध, हैदराबाद

2015 में हरिद्वार के वीजा पर पत्नी और बच्चों के साथ दिल्ली आया। दस एकड़ जमीन और मकान पाकिस्तान में भाई को सौंपकर आया। भाई भी हिंदुस्तान आना चाहता है, लेकिन उसका पासपोर्ट जमा हो गया है।
- भगवान दास, हैदराबाबाद, सिंध

2016 में पति और बच्चों के साथ पाकिस्तान में अपना सबकुछ छोड़कर आ गए। माता-पिता और ससुराली अभी वहीं हैं। दिल्ली में जूस की रेहड़ी लगवाकर बच्चों को पाल रहे हैं।
- बतकारी देवी, हैदराबाद सिंध

2012 में पाकिस्तान से आए कई परिवारों को दिल्ली जंतर मंतर पर भूखे प्यासे बैठा देखा। 250 परिवारों को ओएमजीएसबी सोशल डेवलपमेंट ट्रस्ट की ओर से शेड बनाकर रोहिणी में आश्रय दिया गया। उनका वीजा भी हर साल बढ़ाया जाता है। 30 परिवारों को निजी भूमि पर बसाया है। परिवारों की इच्छा जताने पर ही हरिद्वार गंगा स्नान के लिए लाएं हैं।
- शिव कुमार सोलंकी, सामाजिक कार्यकर्ता

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