बाबा रामदेव की जगह जग्गी वासुदेव दे रहे बीएसएफ को योग की ट्रेनिंग, जानिए क्यों?

संक्षेप:

  • बाबा रामदेव को BSF ने दिया झटका
  • खत्म किया जवानों को योग सिखाने का करार
  • अब जग्गी वासुदेव दे रहे ट्रेनिंग

योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि के बैनर तले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस शुरू होने के बाद से ही बीएसएफ का योग शिविर लगता था, मगर पिछले दो वर्षों से ट्रेनिंग की दिशा पतंजलि से ईशा फाउंडेशन की तरफ मुड़ी है।

अब सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने सीमा सुरक्षा बल के कैंप में ऐसी दस्तक दी कि बाबा रामदेव की पतंजलि को बाहर होना पड़ा है। बीएसएफ ने अब पतंजलि से पुराना नाता तोड़ते हुए जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन से करार कर लिया। इस साल अंतरराष्टीय योग दिवस पर जग्गी वासुदेव खुद सियाचीन के बेस कैंप में जवानों को ट्रेनिंग देते नजर आए। उधर, बीएसएफ का कहना है सिर्फ एक ही व्यक्ति या संस्था से ट्रेनिंग लेने की कोई बाध्यता नहीं थी, ऐसे में यह फैसला लिया गया। अब बाबा रामदेव की पतंजलि से बीएसएफ का कोई करार नहीं है।

दरअसल दो साल पहले बाबा रामदेव ने पतंजलि योगपीठ में बीएसएफ के जवानों को योग की ट्रेनिंग देनी शुरू की। धीरे-धीरे सीमा सुरक्षा बल के जवानों की पीटी योग में बदल गई। 2016 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आयुष मंत्रालय ने रामदेव की ओर से प्रशिक्षित बीएसएफ की टोली को सबसे अच्छा समूह घोषित किया था। धीरे-धीरे बाबा रामदेव ने बीएसएफ में और पकड़ बनाई, नतीजा रहा कि 2017 में वह दिल्ली स्थित बीएसएफ मुख्यालय में पतंजलि स्टोर खोलने में सफल रहे।एक साल बाद फिर बीएसएफ का ग्रुप को योग में शीर्ष स्थान हासिल किया, मगर इस बार ट्रेनर सद्गुरु जग्गी वासुदेव रहे। बीएसएफ के अलावा ईशा फाउंडेशन अब सीआरपीएफ, सीआइएसएफ, कोस्ट गार्ड और सेना के जवानों को योगा सिखा रखा है। इस साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ढाई सौ सेना के जवानों को सियाचीन के आर्मी बेस कैंप में जग्गी वासुदेव ने ट्रेनिंग दी।

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बीएसएफ के डीजी केके शर्मा ने मीडिया को बताया कि बाबा रामदेव ने 2016 में चार हजार जवानों को प्रशिक्षित किया, मगर अब सेना उनकी सेवाओं का उपयोग नहीं करती है। अब बीएसएफ का बाबा रामदेव से कोई संबंध नहीं रह गया है।वह हमसे संपर्क करने वाले पहले व्यक्ति थे, उन्होंने काफी उपयोगी सत्र लिए। पहली बैच के जवानों को उन्होंने पतंजलि योगपीठ पर ट्रेनिंग दी थी। हमसे कई लोगों ने संपर्क कर ऐसी सेवा देने का प्रस्ताव रखा था, मगर जग्गी वासुदेव को चुना गया। प्राणायाम और ध्यान के कैप्सूल कोर्स जग्गी वासुदेव जवानों को करा रहे। उधर इस मामले में पक्ष जानने के लिए जब पतंजलि योगपीठ के प्रवक्ता को सवाल भेजे गए तो कोई जवाब नहीं आया। यही नहीं फोन और टेक्स्ट मैसेज्स पर भी पतंजलि योगपीठ ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।

उधर ईशा फाउंडेशन के मुताबिक जून 2017 में बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के बाद 2017 से बीएसएफ से जुड़ाव हुआ।जवानों को सशक्त करने के लिए उन्होंने विशेष ट्रेनिंग का प्रस्ताव रखा, बीएसएफ से मंजूरी मिलने पर ट्रेनिंग शुरू हुई। बीएसएफ के डीजी ने कहा कि ईशा फाउंडेशन के अलावा स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान की ओर से भी ट्रेनिंग जवानों को दी जा रही। इतनी बड़ी फोर्स को सिर्फ एक संस्थान से योग की ट्रेनिंग दिला पाना संभव नहीं है। बाबा रामदेव और जग्गी वासुदेव की योग को लेकर अपनी स्टाइल है।

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