Ramzan 2018: जानिए जहां नहीं ढलता सूरज वहां कैसे रखा जाता हैं रोजा

संक्षेप:

  • बरकतों और रहमतों वाला महीना है रमजान
  • सूरज निकलने से पहले किया जाता है सेहरी
  • जानिए जहां नहीं ढलता सूरज वहां कैसे रखा जाता है रोजा

रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। इस महीने को बरकतों और रहमतों वाला महीना भी कहा जाता है। इस पाक महीने में मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं। सूरज निकलने से पहले सेहरी करते हैं और ढलने के बाद इफ्तार।

लेकिन आज हम रमजान को लेकर ऐसी जगह की बात बताने जा रहे हैं जहां सूरज डूबता ही नहीं है। सोचिए वहां लोग कैसे रोजा रखते होंगे। भारत या दक्षिण एशियाई देशों में अधिकांश जगह सूरज निकलने के तकरीबन 16-17 घंटे बाद ढलता ही है, लेकिन ऐसी जगह भी हैं जहां सूरज महज 55 मिनट के लिए ढलता है या 24 घंटे नहीं छिपता है। सोचिए लोग कैसे वहां रोजा रखते होंगे।

जानकर हैरानी होगी कि आर्क्टिक सर्कल में आने वाले देशों में 24 घंटे सूरज की रोशनी छाई रहती है। ऐसे में कब सहरी खाई जाए और कब इफ्तार होगा, और कब नमाज पढ़ें और कब तरावीह यह सब कैसे तय होता है क्‍या आपने ये सोचा है। आइये जाने कैसा होता है वहां रोजा जहां सूरज नहीं ढलता।

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लैपलैंड, फिनलैंड और स्वीडन ऐसे देश हैं, जहां सूरज बहुत कम समय के लिए अस्त होता है। खास बात ये है कि अकेले फिनलैंड में रहने वाले मुसलमानों की जनसंख्या वहां की आबादी की लगभग 3 प्रतिशत हैं। स्वीडन में 6 लाख मुस्लिम रहते है। फिनलैंड में गर्मी में केवल 73 दिनों तक सूरज अपनी रोशनी बिखेरता है।

इस दौरान उत्‍तरी फिनलैंड महज 55 मिनट के लिए ही सूर्य अस्‍त होता है। जिसके चलते वहां रोजा सुबह 1:35 बजे से शुरू हो कर रात के 12:40 बजे खत्म होता है, हुए ना कुल 55 मिनट उसी दौरान खाना पीना होता है। रोजे का समय पूरे 23 घंटे और 5 मिनट तक रहता है।

ऐसे में सोचिए लैपलैंड के बारे में जहां 24 घंटे का दिन होता है वहां तो रमजान के साथ शुरू हुए रोज रमजान के बाद ही खत्‍म होंगे क्‍योंकि सूरज छिपा ही नहीं। इसके लिए तरकीब निकाली गई कि यहां लोग समय के हिसाब से रोजा रखें। इसके लिए ज्‍यादातर लोग नजदीकी मिडिल ईस्‍ट कंट्री के समय के हिसाब से अपने रोजे का समय निर्धारित करते हैं। वैसे अलग देशों में ही नहीं कई बार एक ही देश के विभिन्‍न इलाकों में भी सूरज निकलने और छिपने का समय अलग होता है जिसके चलते रोजे का समय भी अलग-अलग हो जाता है। 

 

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