हरिद्वारः रेडियो कॉलर तकनीक से विलुप्त हो रहे बारहसिंगा पर रिसर्च शुरू

संक्षेप:

  • वाइल्ड लाइफ इंस्टीटूट के सहयोग हो रहा काम
  • 2005 में झिलमिल झील को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया
  • हरिद्वार में रेडियो कॉलर विधि तेजी से हो रहा इस्तेमाल

हरिद्वारः वन्यजीवों के अध्ययन के हिसाब से रेडियो कॉलर तकनीक बेहतरीन माध्यम साबित हुई है। उत्तराखंड में भी अब वन महकमे ने इस तकनीक के तहत कार्य करना शुरू कर दिया है। हरिद्वार केझिलमिल झील कंजर्वेशन रिजर्व में देश के पहले बारहसिंगा को ड्राइव नेट विधि के माध्यम से रेडियो कॉलर किया गया। उम्मीद है कि जल्द ही इस कॉलर के माध्यम से वन महकमा विलुप्त हो रहे बारहसिंघों के गमन मार्गों का बारीकी से अध्यन कर उनके संरक्षण और संवर्धन पर बेहतर कार्य कर सकेगा।

वाइल्ड लाइफ इंस्टीटूट के सहयोग हो रहा काम

उत्तराखंड राज्य में वन महकमे ने अब रेडियो कॉलर तकनीक के माध्यम से विलुप्त हो रहे बारहसिंघों पर अध्यन शुरू कर दिया है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीटूट के सहयोग से हरिद्वार के झिलमिलझील कंजर्वेसन रिजर्व में ड्राइव नेट विधि से देश के पहले बारहसिंघा को कॉलर किया गया। हालांकि इससे पूर्व आसाम के मानस सेंचुरी में भी बारहसिंघे को कॉलर किया गया था। मगर उसमे ट्रेंकुलाइज विधि को अपनाया गया था।

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


मगर इस बार ड्राइव के माध्यम से कॉलर किया गया। वैज्ञानिकों के अनुसार ड्राइव विधि बेहतर होती है और इसमें वन्यजीव को भी नुकसान नहीं पंहुचता है उनके अनुसार यह वन्यजीव बेहद ही संवेदनशील हित है। बरसात के दौरान यह इस झील से होते हुए हस्तिनापुर तक जाते करते है मगर अब इस कॉलर के लग जाने के बाद वैज्ञानिक उनके जीवन से जुड़े कई पहलुओं का बेहतरीन तरीके से अध्यन कर सकेंगे।

2005 में झिलमिल झील को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया

साल 2005 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा हरिद्वार वन प्रभाग की झिलमिल झील को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था। वन महकमे के अनुसार उस समय यहां पर बारहसिंघों की संख्या केवल 35 के लगभग थी। परन्तु आज इनकी संख्या 300 से ऊपर है। इन बारहसिंघों पर शोध के लिए काफी समय से रेडियो कॉलर लगाने का प्रयास चल रहा था। जिसके बाद वन महकमे ने डब्लूआईआई के साथ मिलकर एक बारहसिंघे को कॉलर करने में सफलता पाई है। इसके अलावा पांच बारहसिंघों को और कॉलर किया जाना है।

 रेडियो कॉलर विधि का तेजी से हो रहा इस्तेमाल

रेडियो कॉलर विधि के इस्तेमाल के लिहाज से हरिद्वार का नाम तेजी से उभरा है। इससे पूर्व कुछ माहीने पहले राजाजी टाइगर रिजर्व की टीम ने यहां इंसानों को मार रहे एक जंगली हाथी को रेडियो कॉलर किया था। जिसके बाद उस पर अध्यन शुरू किया गया। जिसके बेहतर परिणाम सामने आये हैं। अब बारहसिंघे को कॉलर किया गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में विलुप्त हो रहे अन्य वन्यजीवों को भी इस तरह कॉलर कर उनका अध्यन होगा।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Read more Haridwar की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles