IPL में ऋषभ पंत ने हासिल की ऑरेंज कैप, जानिए उनके संघर्ष की कहानी

संक्षेप:

  • ऋषभ पंत ने खेली एक और तूफानी पारी
  • आईपीएल के इस सीजन में बना चुके हैं 375 रन
  • जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें

हरिद्वार: आईपीएल में वैसे तो कई युवा खिलाड़ी है जिन्होंने अपने प्रदर्शन से काफी प्रभावित किया है. उनमें से ही एक खिलाड़ी है हरिद्वार के ऋषभ पंत. ऋषभ पंत इस आईपीएल में दिल्ली की टीम की तरफ से खेलते हैं और शानदार प्रदर्शन भी अपनी टीम के लिए कर रहे है. बुधवार को हुए राजस्थान के खिलाफ मैच में उन्होंने एक बार फिर से तूफानी बल्लेबाजी की.

ऋषभ पंत की तूफानी पारी के दम पर दिल्ली ने आईपीएल के सीजन 11 में राजस्थान को चार रनों से हरा दिया. फिरोजशाह कोटला मैदान पर दो बार बारिश से बाधित मैच में पहले 17.1 एक ओवर में दिल्ली छह विकेट पर 196 रन बनाए. जिसके बाद राजस्थान को 12 ओवरों में 151 रनों का संशोधित लक्ष्य मिला, जिसके जवाब में राजस्थान पूरे ओवर खेलने के बाद पांच विकेट खोकर 146 रन ही बना सकी और जीत से महरूम रह गई.  इस जीत के साथ ही दिल्ली की प्लेऑफ में जाने की उम्मीदें बनीं हुई हैं. ऋषभ पंत ने दिल्ली के लिए 29 गेंदों में तूफानी 69 रन बनाए।

वैसे तो पहले ही ओवर में पहला विकेट गिरने के बाद पृथ्वी शॉ ने केवल 25 गेंदों पर ही 47 रनों की बेहतरीन पारी खेली. टीम के 74 रनों के स्कोर पर पृथ्वी के 8वें ओवर में आउट होने के बाद ऋषभ पंत ने आते ही चुनचुन कर बड़े शॉट लगाना शुरु कर दिया. उन्होंने कप्तान के साथ मिलकर 11वें ओवर में ही टीम का स्कोर 100 के पार पुहंचा दिया. फिर 14वें ओवर में ही ऋषभ ने अपने आईपीएल करियर का छठा अर्धशतक पूरा किया. ऋषभ का यह सबसे तेज आईपीएल अर्धशतक भी था जो उन्होंने 23 ही गेंदों में बनाया था जिसमें सात चौके और तीन छक्के शामिल थे.

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अय्यर और पंत ने तेजी से बल्लेबाजी की और टीम का स्कोर 14वें ओवर में ही 150 के पार हो गया. अय्यर ने 15वें ओवर में आउट होने से पहले अपना अर्धशतक पूरा किया. उसी ओवर में पंत भी आउट हो गए. पंत ने अपनी पारी में केवल 29 गेंदों पर ही 69 रन बना डाले जिसमें 7 चौके और पांच छक्के शामिल थे. हालांकि दोनों के आउट होने के बाद विजय शंकर ने जरूर केवल छह गेंदों में ही 17 रनों की पारी खेली. उनके और मैक्सवेल के आउट होने के बाद खेल रोकना पड़ा और इसके बाद डकवर्थ लुईस नियम के अनुसार, राजस्थान को 12 ओवर में 151 रनों का संशोधित लक्ष्य दिया गया. इस लक्ष्य को राजस्थान की टीम हासिल नहीं कर सकी.

ऋषभ पंत की इस तूफानी पारी से उनका इस सीजन में 375 रन हो गया और वे अंबाती रायडू के 370 के रनों से आगे निकलकर ऑरेंज कैप हासिल करने में कामयाब हो गए. ऋषभ ने इस सीजन में 20 छक्कों और 40 चौकों की मदद से 375 रन बनाए हैं इसमें उनके तीन अर्धशतक शामिल हैं. पंत ने उपलब्धि अपने 9वें मैच में हासिल की है.

आपको बता दें कि ऋषभ पंत भारत के अगले सुपर-स्टार माने जाते हैं, लेकिन उनकी कामयाबी की कहानी इतनी आसान नहीं रही. हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक का उनका सफर काफी मेहनत से भरा रहा है।

जानिए ऋषभ पंत के जीवन से जुड़ी ये 4 बातें...

1) ऋषभ पंत 4 अक्टूबर 1997 में हरिद्वार में पैदा हुए. उनके पिता राजेन्द्र पंत का सपना था कि उनका बेटा देश के लिए क्रिकेट खेले और इसके लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया. बेटे को बेहतर क्रिकेट सुविधा देने के लिए वे रुड़की आए पर किसी ने कहा कि दिल्ली से बेहतर आसपास कुछ नहीं. ऋषभ रात 2 बजे की बस पकड़ कर कभी-कभी दिल्ली आते थे. ताकि वह 8 बजे के अभ्यास सत्र के लिए राजधानी पहुंच सके. इस पूरे सफर के दौरान उनकी मां ने भी उनका अहम साथ दिया.

2) रोज़ 2 बजे उठकर दिल्ली आना नामुमकिन था, इसीलिए ऋषभ पंत दिल्ली आ गए जहां वह मशहूर सोनेट क्लब में खेलने पहुंचे. यहां उनकी मुलाकात तारक सिन्हा से हुई जो शिखर धवन सहित कई खिलाडियों के कोच रहे हैं. दिल्ली क्रिकेट संघ में चल रही राजनीति को देखते हुए तारक सिन्हा ने ऋषभ पंत को राजस्थान जाने को कहा और जहां उन्हें खेलने के ज्यादा मौके मिल सकते थे. पंत राजस्थान गए और वहां वह अंडर-14 और अंडर-16 क्रिकेट खेलने में कामयाब भी हुए, लेकिन एक बाहरी होने के कारण उन्हें अकादमी से बाहर कर दिया गया. 

3) ऋषभ फिर दिल्ली आए जहां कामयाब होने की भूख उनमें और तेज़ हो गई थी. वह भारत के लिए 2016 में अंडर-19 विश्व कप के लिए चुने गए. नेपाल के खिलाफ उन्होंने 18 गेंदों पर अर्धशतक ठोका जो अभी भी अंडर-19 क्रिकेट का सबसे तेज़ अर्धशतक है.  अगले ही मैच में उन्होंने नामिबिया के खिलाफ़ शतक जड़ दिया.

4) 2016-17 के रणजी मुकाबलों के दौरान महाराष्ट्र के खिलाफ 308 रनों की हैरतंगेज़ पारी खेली. वसीम जाफ़र, अभिनव मुकुंद के बाद वे ऐसा करने वाले तीसरे युवा बल्लेबाज़ और सिर्फ़ दूसरे विकेट कीपर बने. दिल्ली के लिए यह रमन लांबा के 1994 में बनाए गए 312 रनों के बाद सबसे बड़ी पारी थी.

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