व्यापम का जिन्न: दिग्विजय ने CM कमलनाथ को लिखी चिट्ठी,कहा- दोषियों को बख़्शा नहीं जाए

संक्षेप:

  • व्यापमं का जिन्न फिर निकल रहा है.
  • पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने सीएम कमलनाथ को चिट्ठी लिखी है.
  • सीएम कमलनाथ से अनुरोध किया है कि व्यापमं घोटाले के आरोपियों को बख़्शा नहीं जाए और मासूमों को इंसाफ दिलाएं.

भोपाल: व्यापमं का जिन्न फिर निकल रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने सीएम कमलनाथ को चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने तत्कालीन सरकार के लिए काफी सख़्त भाषा का इस्तेमाल किया है. सीएम कमलनाथ से अनुरोध किया है कि व्यापमं घोटाले के आरोपियों को बख़्शा नहीं जाए और मासूमों को इंसाफ दिलाएं.

सख़्त लहज़ा

दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि सब जानते हैं कि तत्कालीन सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर था. पीएमटी जैसी परीक्षा के लिए राज्य में दलालों के माध्यम से दुकानें खोल दी गयी थीं. पोल खुलने पर उन छात्रों को भी आरोपी बना दिया गया, जो इन दुकानों पर गए ही नहीं थे.

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चिट्ठी का मजमून

व्यापमं घोटाले को बार-बार उठा चुके दिग्विजय सिंह ने इस बार मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र भेजा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि व्यापम मामले में फंसाए गए निर्दोष स्टूडेंट्स को इंसाफ दिलाया जाए. इसके लिए सरकार ज़रूरी फैसला करे. उन्होंने चिट्ठी में आगे लिखा है कि शिवराज सरकार ने आरोपियों को बचाने के लिए निर्दोष छात्रों और उनके परिवारवालों तक को मोहरा बनाया गया है. ऐसे में सरकार को उन मासूमों का भविष्य बचाने के बारे में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.

दिग्विजय सिंह के सुझाव

दिग्विजय सिंह ने उन छात्रों के खिलाफ केस वापस लेने का सुझाव सरकार को दिया है, जो पीएमटी में सलेक्ट भी नहीं हुए हैं, लेकिन फिर भी आरोपी बना दिए गए हैं. सिंह ने कहा कानून के दायरे में रहकर ऐसे छात्रों के लिए सरकार को कदम उठाकर उन्हें न्याय दिलाया जाए.

-जिन छात्रों के खिलाफ पैसों के लेन-देन के प्रमाण भी हैं, उनके खिलाफ कॉल डिटेल के रूप में सबूत उपलब्ध हैं, उन्हें अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी गवाह बनाया जाए.
- ऐसे छात्र जो इम्पेरिकल रूल के अंतर्गत नहीं आते हैं, उनके खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाने चाहिए.
- जिन छात्रों के खिलाफ पैसों के लेन-देन के कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं या उन्होंने नीट परीक्षा में संबंधित वर्ष में उत्तीर्ण की है, उनके खिलाफ दर्ज प्रकरण वापस लिए जाएं.
- जिन छात्रों के खिलाफ पैसों के लेन-देन के कोई सबूत नहीं हैं और जो फिर से परीक्षा में शामिल होने आयु सीमा से बाहर हो गए हैं, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए.

दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि इस मामले को मैं सर्वोच्च न्यायलय में लेकर गया था. इसकी जांच के लिए गठित एसआईटी के सामने मैंने कई तथ्य रखे थे. इसलिए मेरा मानना है कि इस मामले में न्याय की रक्षा के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए.

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