अपने ही लोगों से दूरी बना रही है कांग्रेस- पं.कृपाशंकर शुक्ला

संक्षेप:

पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता अर्जुन सिंह की पुण्यतिथि

पुण्यतिथि पर पं.कृपाशंकर शुक्ला का झलका दर्द

कार्यक्रम के दौरान रो पड़े पं.कृपाशंकर शुक्ला

बीते बुधवार मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता अर्जुनसिंह की बुधवार को पुण्यतिथि थी.. जिसके उपलक्ष्य में बड़ा और विशाल कार्यक्रम का आयोजन था... आयोजन के दौरान मंच पर मौजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पं.कृपाशंकर शुक्ला ने अपनी सरकार पर गंभीर आरोप लगा दिए.. कृपाशंकर शुक्ला ने कहा कि मेरी ही सरकार के मंत्री मेरा फोन नहीं उठाते हैं... मंच पर मौजूद शुक्ला ने कहा कि कार्यकर्ताओं की पीड़ा मैं समझ सकता हूं... वे बोल नहीं सकते, लेकिन मैं अंतिम पड़ाव पर हूं जो सच है, वो कहूंगा... इस कार्यक्रम में कांग्रेस के तमाम पदाधिकारी और कई दिग्गज नेता मौजूद थे... इतना ही नहीं कृपाशंकर ये कहते हुए रो भी पड़े... भीगी आंखों से किस्सा बताते हुए शुक्ला ने उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के बारे में कहा कि चार दिन से उन्होंने फोन नहीं उठाया.. शहर से जुड़े तीनों मंत्री ऐसा ही बर्ताव कर रहे हैं.. जब मेरी ये स्थिति है तो आम कार्यकर्ताओं की स्थिति समझी जा सकती है..

कृपाशंकर ने अपने आंसुओं को संभालते हुए कहा कि मंत्रियों की स्थिति ये है कि फोन तो उठाते नहीं, चार-चार दिन तक जवाब भी नहीं आता... मौके पर कार्यकारी शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल, पूर्व मंत्री रामेश्वर पटेल, दीपू यादव से लेकर सेवादल जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर पटेल समेत तमाम नेता मौजूद थे.. जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव ने शुक्ला को टोकते हुए सार्वजनिक मंच से ऐसा सब कहने से रोकने की कोशिश भी की.. लेकिन शुक्ला जी कहां रुकने वाले थे.. उन्होंने ये भी कह दिया कि जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे तो जब भी इंदौर आते, कार्यकर्ताओं और जनता से मिलते थे.. अब वो दौर कहीं चला गया है... हालांकि बाद में कार्यकारी अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने अपने भाषण में कहा कि वो कार्यकर्ताओं की पीड़ा और शुक्ला जी की बात ऊपर तक पहुंचाएंगे....

ये भी पढ़े : राम दरबार: 350 मुस्लिमों की आंखों में गरिमयी आंसू और जुबां पर श्री राम का नाम


If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.