लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राजस्थान में मचा सियासी घमासान, गहलोत vs पायलट के बीच छिड़ी सत्ता की जंग

संक्षेप:

  • लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस का राजस्थान में सूपड़ा साफ होने के बाद प्रदेश में फिर सियासी घमासान शुरू हो गया है
  • अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की गुटबाजी खुलकर सामने आई है
  • पार्टी का एक गुट प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ सियासी महौल बनाने में जुटा है

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस का राजस्थान में सूपड़ा साफ होने के बाद प्रदेश में फिर सियासी घमासान शुरू हो गया है. सरकार के मंत्रियों की चुनावी हार पर सियासत के साथ ही एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी कलह और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की गुटबाजी खुलकर सामने आई है. पार्टी का एक गुट प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ सियासी महौल बनाने में जुटा है. कहा जा रहा है कि यह गुट राहुल गांधी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.

सियासी हलकों में एक दिन पहले चर्चा में आया कृषि मंत्री लालचंद कटारिया का इस्तीफा इसी ओर इशारा करता है. सोशल मीडिया में वायरल इस इस्तीफे के साथ दावा किया जा रहा था कि मुख्यमंत्री गहलोत के जरिए इस्तीफा राज्यपाल को भेजा गया है. लेकिन कटारिया के इस्तीफे के पीछे सियासी मायने कुछ और ही निकाले जा रहे हैं. इसके जरिए कटारिया पर प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ दबाव बनाने की बात कही जा रही है.

 

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दरअसल, इस्तीफा देने वाले कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के इस्तीफे के पीछे सियासत इसलिए बताई जा रही है कि उनके पास कांग्रेस संगठन में न ऐसा कोई पद था न जिम्मेदारी, जिसके चलते चुनावी हार पर इस्तीफा दिया जाए. बता दें कि प्रदेश में सीएम, प्रदेशाध्यक्ष और 22 मंत्री भी अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव हारे हैं, फिर अकेले कटारिया ही नैतिक जिम्मेदारी क्यों ले रहे हैं?

विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के रूप में दो फाड़ कांग्रेस में एकजुटता का संदेश दिया था. मुख्यमंत्री पद के लिए दोनों के बीच लंबी सियासत के बाद आखिर गहलोत को सीएम बनाया या और पायलट को डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बैठा कर मामला शांत हुआ. लेकिन लोकसभा चुनाव में हार के बाद एक बार फिर सत्ता और संगठन में नेतृत्व को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है. गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2018 में जनमत मिलने के बाद मंत्री लालचंद कटारिया ने ही सबसे पहले सीए पद के लिए गहलोत की पैरवी की थी.

 

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