झाँसी मंडल पर कोरोना के चलते 90 प्रतिशत तक कम हो गए रेल यात्री

संक्षेप:

झाँसी : देश में हालात कुछ हद तक सामान्य हो गए हैं और रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया है। लेकिन कोरोना का खौफ इस कदर है कि जब से ट्रेन खुली है, तब से लेकर अभी तक मण्डल के 7 स्टेशन पर यात्रियों का टोटा पड़ गया है। आलम यह है कि 6 माह में यात्रियों की औसत संख्या 90 प्रतिशत तक कम रही। वहीं, मण्डल के 3 स्टेशन तो ऐसे हैं जो एक यात्री को भी तरस गए।

झाँसी : देश में हालात कुछ हद तक सामान्य हो गए हैं और रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया है। लेकिन कोरोना का खौफ इस कदर है कि जब से ट्रेन खुली है, तब से लेकर अभी तक मण्डल के 7 स्टेशन पर यात्रियों का टोटा पड़ गया है। आलम यह है कि 6 माह में यात्रियों की औसत संख्या 90 प्रतिशत तक कम रही। वहीं, मण्डल के 3 स्टेशन तो ऐसे हैं जो एक यात्री को भी तरस गए।

कोरोना महामारी से सभी व्यावसायिक प्रष्ठिान और सरकारी संस्थाओं को अरबों रुपये के राजस्व की हानि हुई। वहीं, पूरे देश को जोड़ने वाली भारतीय रेल इतिहास में पहली बार कोरोना के कारण बन्द रही। स्थिति थोड़ी सामान्य होने पर रेलवे ने लोगों को हो रही असुविधा को देखते हुए लगभग 400 स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू किया है। इसमें से झाँसी मण्डल से होकर गु़जरने वाली 80 ट्रेन भी शामिल हैं। बता दें कि यात्रियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए मण्डल ने अपने सभी स्टेशन पर सैनिटाइ़जर और थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था के साथ ही अन्य पेड सेवाएं भी शुरू की हैं, लेकिन यात्रियों के दिल में कोरोना का डर इस कदर घर कर चुका है कि लोग निजी वाहन से ही यात्रा करना पसन्द कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने 12 मई से शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस जैसी पूरी तरह आरक्षित ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया है। 1 जून से मेल और एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन का संचालन भी शुरू कर दिया गया। साथ ही इनकी संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी भी की जा रही है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जून से शुरू की गई रेल सेवा से लोग अभी भी कतरा रहे हैं। जून से लेकर नवम्बर तक मण्डल के 7 स्टेशन से यात्रियों के ट्रेन में चढ़ने के आँकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि लोग अभी भी रेल यात्रा करने से किनारा किए हुए हैं। पिछले साल जून में झाँसी स्टेशन से ट्रेन पर चढ़ने वाले यात्रियों की संख्या लगभग साढ़े पन्द्रह लाख थी, जो इस साल जून में सिर्फ 33 ह़जार 87 ही रह गई। यानी, पिछले साल की तुलना में यह संख्या 97 प्रतिशत कम रही। इस प्रतिशत में नवम्बर के अन्त तक कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला। बीते माह यात्रियों की संख्या 87 प्रतिशत तक कम दर्ज की गई।

तीन माह तक 3 स्टेशन पर पसरा रहा सन्नाटा

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कोरोना संक्रमण ने लोगों के दिलों में किस हद तक खौफ भर दिया है, इसकी बानगी मण्डल के 3 स्टेशन पर आने वाले यात्रियों की संख्या के कॉलम को देखकर लगाई जा सकती है। जून, जुलाई और अगस्त में मण्डल के बाँदा, महोबा और दतिया स्टेशन यात्री को तरस गए। यहाँ रेल यात्रियों की संख्या शून्य रही।

जनरल टिकिट न मिलने से घटी यात्रियों की संख्या

मण्डल के 6 स्टेशन पर यात्रियों की संख्या कम होने के पीछे का मुख्य कारण जनरल टिकिट न मिलना है। बता दें कि झाँसी के अलावा बाँदा और महोबा स्टेशन से भारी संख्या में श्रमिक दिल्ली और मुम्बई जाते हैं। यह श्रमिक आरक्षित टिकिट लेने के स्थान पर जनरल टिकिट पर ही यात्रा करते हैं। वर्तमान में रेलवे द्वारा जनरल डिब्बे को भी आरक्षित कर रखा है और आरक्षण शुल्क भी लिया जा रहा है। यही वजह है कि अधिकांश गरीब तबके के लोगों को टिकिट मिलने का तरीका नहीं पता और उस पर लगने वाला आरक्षण शुल्क भी उन्हें सोचने पर मजबूर कर रहा है।

 

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