झांसी: अखिलेश से नाराज़ सपा कार्यकर्ता बोले- नई सपा को अब कार्यकर्ताओं से ज्यादा ट्विटर की चिड़िया भाती है

संक्षेप:

  • अखिलेश तक न पहुंच पाने से मायूस हुए कार्यकर्ता
  • मप्र के भी कई जगहों से कार्यकर्ता हिस्सा लेने पहुंचे
  • अखिलेश सभास्थल से निकलकर ओरछा पैलेस पहुंचे
     

झांसी । मध्यप्रदेश के ओरछा में सपा कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम हुआ. इसमें झांसी मंडल के दूर-दराज के इलाकों समेत मप्र के भी कई जगहों से कार्यकर्ता हिस्सा लेने पहुंचे। लखनऊ तक न पहुंच पाने वाले कार्यकर्ता यहां अखिलेश को देखना, उनसे मिलना चाहते थे लेकिन अफसोस, यहां भी अखिलेश ज्यादातर समय ‘लखनवी’ नेताओं से ही घिरे नजर आए।  यही वजह रही कि उन तक न पहुंच पाने से कार्यकर्ता मायूस नजर आए।

कई पुराने कार्यकर्ताओं ने अपना दर्द यह कहते हुए ब्यान किया कि अब यह मुलायम वाली नहीं, बल्कि नई सपा हो गई, जिसे अब कार्यकर्ताओं से ज्यादा ट्विटर की चिड़िया भाती है।
 
उधर, मप्र, टीकमगढ़ से राजेश कौसनिया अपने भाई के संग शीशे के खूबसूरत बॉक्स में साइकिल की प्रतिकृति लेकर पहुंचे थे। दोनों भाई इसे अपने हाथ से सपा सुप्रीमो को देना चाहते थे। बैठने की सीट नहीं मिली तब काफी देर तक पीछे खड़े रहे। अखिलेश के पहुंचने पर किसी तरह आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन, सभागार में व्यवस्था दुरुस्त रखने के नाम पर तैनात पहलवानों ने उनको बेदर्दी से पीछे ठेल दिया। आखिरकार मायूस दोनों भाई ‘साइकिल’ लेकर वापस लौट गए।
 
विधायकों का नाम सुनने के बावजूद सुरक्षाकर्मी नहीं पसीजे। समर्थकों के काफी देर तक मानमनौव्वल करने पर दोनों विधायक किसी तरह भीतर जा पाए हालांकि इसी बीच एक चर्चित नेता पुत्र भी पहुंच गए लेकिन, कार्यकर्ताओं के बीच से रास्ता बनाते हुए उनको भीतर इंट्री दे दी गई। कार्यकर्ताओं का दल प्रयागराज से भी पहुंचा था।
 
 
बता दें कि करीब आधे घंटे ठहरने के बाद अखिलेश सभास्थल से निकलकर ओरछा पैलेस पहुंचे। उनके भीतर घुसते ही होटल के विशालकाय गेट बंद हो गए। कार्यकर्ताओं को यहां बाहर खड़े होने की भी इजाजत नहीं दी गई। सभी को वहां से निकाल दिया गया। विधायक और कार्यक्रम संयोजक रामवृक्ष यादव, एमएलसी मान सिंह भी भीतर जाने के लिए आधे घंटे तक कोशिश करते रहे।
 
हेलिपैड से उतरकर मुलायम सीधे उसी ब्लॉक के करीब गए। उम्रदराज होने के बावजूद बल्लियां लांघकर कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच गए। इस वाकये को याद करते हुए सपा कार्यकर्ता कहते हैं कि अब नेताओं में बल्लियां लांघने का हौसला नहीं रह गया। अब नेता लोहे के दरवाजे के पीछे बैठकर ट्विटर चलाते हैं.
 

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