कानपुरः ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद भी आखिर क्यों लगाने पड़ते हैं आरटीओ के चक्कर?

संक्षेप:

  • कानपुर में लाइसेंस बनवाना काफी मुश्किल
  • ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद भी लोगों को हो रही दिक्कतें
  • लोगों ने कहा ऑनलाइन से बढ़ गई उलझने

कानपुरः दिनों दिन सरकारी सेवाओं के ऑनलाइन संस्करण सामने आ रहे हैं। ऐसे प्रयासों से यह उम्मीद की जा रही है कि सरकारी दफ्तरों पर पड़ने वाले कागजों के बोझ में कमी आएगी और पारदर्शिता बढ़ने के साथ-साथ लोगों को भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर खाने से राहत मिल सकेगी, लेकिन कानपुर में तस्वीर बिलकुल उलट है।

यहां पर ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सुविधा के शुरू होने के बाद इसी तरह के नतीजे की उम्मीद थी लेकिन तस्वीर कुछ और ही है। ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस सेवा शुरू होने से लोगों में आशा जगी की अब लाइसेंस बनवाने में आसानी होगी लेकिन इस प्रक्रिया पर लोग सवाल खड़े करने लगे हैं।

लोगों का मानना है कि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की ऑनलाइन प्रक्रिया बेहद उलझाऊ है और लाइसेंस बनाने के काम को आसान करने की जगह कुछ मुश्किल ही बना देती है। उत्तर प्रदेश ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करते हुए अपनी पहचान जाहिर करने के लिए जिन दस्तावेजों की सूची सामने आती है वास्तव में आरटीओ में उसका कोई मूल्य नहीं है।

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उत्तर प्रदेश ट्रांसपोर्ट विभाग की साइट आधार कार्ड, पैन कार्ड, निर्वाचन पहचान पत्र और एम्प्लॉई आईडी जैसे पहचान पत्र के दस्तावेजों को लाइसेंस बनवाने के लिए मान्यता देता है। ऑनलाइन आवेदन करते हुए इनमें से किसी एक दस्तावेज को चुनने और अपॉइंटमेंट के समय साथ लेकर जाने की बात ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट कहती है।

वहीं , लाइसेंस बनवाने आए हरी शंकर मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन फॉर्म भरा लेकिन फिर भी यहां आकर परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि डिजिटल इंडिया के लक्ष्य का दम भरने वाली सरकारें अपने लक्ष्य किस तरह पूरी करेंगी। जब जमीनी स्तर पर इस तरह की लापरवाहियां बरती जा रही हैं।

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