साराम का साम्राज्यः 400 आश्रम और करोड़ का `गोरखधंधा`

संक्षेप:

  • आसाराम का 2000 करोड़ का `गोरखधंधा`
  • देश और दुनिया में 400 से ज्यादा आश्रम
  • इतने करोड़ की संपत्ति के हैं मालिक!

कानपुरः देश और दुनिया में 400 से ज्यादा आश्रम रखने वाले आसाराम ने भक्तों को आश्रम से प्रकाशित साहित्य के जरिए भी जोड़ा था. यहां तक कि आसाराम अपनी प्रवचनों से लोगों को निरोगी होने के मंत्र भी दिया करते थे. बता दें कि आयकर विभाग की जांच में पता चला था कि आसाराम ने 2008-09 से लगातार 2300 करोड़ रुपए की अघोषित आय को विभाग से छुपाए रखा था. जांच में ऐसे बेनामी निवेश का पता चला जिनका संबंध आसाराम और उनके शिष्यों से था. ये निवेश रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड्स, शेयर, किसान विकास पत्र और फिक्स्ड डिपोजिट के रूप में किए गए. बहरहाल हम आपको बताते हैं कि रेप के आरोप में जेल की हवा खा रहे आसाराम के पास कितने करोड़ की प्रॉपटी रही है.

इनमें से अधिकतर निवेश कोलकाता स्थित उन सात निजी कंपनियों की ओर से किया गया जिन्हें या तो आसाराम की ओर से या उनके शिष्यों की ओर से अधिग्रहित किया गया था. आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि आसाराम ने अपने अनुयायियों के माध्यम से कथित तौर पर कर्ज़ देने की योजना चलाई थी. बिल्डरों, आम लोगों और संस्थाओं को 1 से 2 फीसदी की मासिक ब्याज दर पर नकद ऋण प्रदान करती थी.

आसाराम और उनके अनुयायियों ने 1991-92 से पूरे भारत में 1400 से अधिक लोगों को ऋण के दौर पर 3800 करोड़ रुपए दिए. सारा कर्ज कैश के रूप में दिया गया. सिक्योरिटी के रूप में पोस्ट डेटेड चेक्स, प्रोमिसरी नोट्स और ज़मीन के कागजात जमा करवाए गए. अनुमान लगाया गया कि इस योजना का इस्तेमाल आश्रमों को मिले दान को छिपाने के लिए किया गया. यह आंकड़े 2016 में आई एक रिपोर्ट के आधार पर है.

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आसाराम की ज्यादातर संपत्ति गैर-कानूनी हैं, जिनमें से ज्यादातर जमीन गलत दस्तावेज रखने वाले भक्तों को फुसलाकर और अतिक्रमण के जरिए हासिल की गई है. आसाराम के पास 400 ट्रस्ट हैं, जिनके जरिए वह अपने पूरे साम्राज्य पर नियंत्रण रखता था. आसाराम की संस्थाओं द्वारा बेचें जाने वाली पत्रिकाओं, उत्पादों की बिक्री से, श्रद्धालुओं के चंदे से और आश्रम की हड़पी हुई जमीन पर खेती से मोटी कमाई होती थी. आसाराम की दो पत्रिकाओं ऋषिप्रसाद और लोक कल्याण सेतु की 14 लाख प्रतियां हर महीने बिकती थी, जिनसे सालाना 10 करोड़ रुपए के आसपास रकम आती थी.

आसाराम के लिए करीब 50 की तादाद में सत्संग हुआ करते थे. दो या तीन दिनों के हरेक प्रवचन में उत्पादों की बिक्री से 1 करोड़ रुपए जुटा लिए जाते थे. सबसे ज्यादा धन उगलने वाले तीन या चार सालाना गुरुपूर्णिमा के कार्यक्रम होते थे. हर साल 10 से 20 भंडारे किए जाते थे, जिनके लिए 150 करोड़ से लेकर 200 करोड़ तक चंदा लिया जाता था, जबकि खाना बनाने और बांटने में खर्च की गई रकम नाममात्र की हुआ करती थी.

बाकी की संपत्ति बेनामी जमीन-जायदाद के सौदे और वित्तीय लेनदेन करीब 2200 करोड़, 500 से अधिक लोगों को मोटी ब्याज दर पर 1635 करोड़ रुपए नकद कर्ज, अमरीकी कंपनी सोहम इंक और कोस्टास इंक में 156 करोड़ रुपए के निवेश. इनका कुल योग 4500 करोड़ रुपए बैठता है, लेकिन मौजूदा बाजार दरों पर आसाराम का कुल गोरखधंधा 10000 करोड़ रुपए से अधिक का होने का अनुमान है.

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