अब घटेगी आपकी ‘इन हैंड सैलरी’, सरकार ला रही नए नियम!

संक्षेप:

अगर आप वर्किंग है तो ये खबर आपके लिए है। कैश इन हैंड सैलरी को लेकर मोदी सरकार बड़े बदलाव  करने की तैयारी में है। इस कड़ी में ससंद के मॉनसून सत्र में सरकार `कोड ऑन वेजेज` का संशोधित प्रस्ताव ला सकती है। अगर ऐसा होता है, तो हर महीने आपके खाते में आने वाली इन-हैंड सैलरी घटेगी और आपकी टैक्स की देनदारी बढ़ जाएगी। सरकार वेतन नियमों में बदलाव कर सकती है। इसके लिए कोड ऑन वेजेज में बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

मॉनसून सत्र में इस प्रस्ताव को पास कराने की योजना है। इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर कैश इन हैंड सैलरी यानी टेक होम सैलरी पर पड़ेगा। कॉस्ट टू कंपनी यानी सीटीसी में बेसिक का अनुपात बढ़ाया जा सकता है। साथ ही HRA, LTA और अन्य भत्तों की अधिकतम सीमा तय की जा सकती है। सरकार चाहती है कि लोगों की आर्थिक सुरक्षा को ताकत मिले। यही वजह है कि सरकार मूल वेतन में भत्तों को कम करके, बेसिक का हिस्सा बढ़ाने पर जोर दे रही है।

इससे कर्मचारी के मूल वेतन के अनुपात में कटने वाले ग्रैच्युटी, पीएफ और इंश्योरेंस में आपका योगदान बढ़ जाएगा। प्रस्ताव में साफ किया गया है कि भत्तों की कुल रकम मूल वेतन के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। मतलब यह कि 50% से ज्यादा भत्ता मूल वेतन में जोड़ा जाएगा। हर महीने आपके खाते में आने वाली इन-हैंड सैलरी घटेगी, जिसका असर आपकी सेविंग्स पर तो दिखेगा लेकिन, टैक्स की देनदारी बढ़ जाएगी।

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


दरअसल, अभी तक कंपनियां टैक्स बचाने के लिए अलग-अलग भत्तों के तौर पर सैलरी स्ट्रक्चर तैयार करती थी। सूत्रों के मुताबिक, भत्तों की कुल रकम मूल वेतन के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं रखने का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार कॉस्ट टू कंपनी (CTC) में बेसिक सैलरी का अनुपात बढ़ाने की तैयारी में है। संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार यह प्रस्तावित बदलाव कर सकती है। सूत्रों की मानें तो इसके अलावा भी कुछ नए बदलाव इसका हिस्सा बन सकते हैं। लेकिन, अभी यह साफ नहीं है कि कोड ऑन वेजेज के प्रस्ताव में क्या नए बदलाव किए गए हैं।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Read more Kanpur की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles