कानपुर में खुला देश का पहला शरई कोर्ट

संक्षेप:

  • कानपुर में खुला देश का पहला शरई कोर्ट
  • जहां महिला काजी सुनेंगी महिलाओं की फरियाद
  • ख्वातीन बोर्ड और सुन्नी उलेमा काउन्सिल ने की शरई कोर्ट की शुरूआत

कानपुर: कानपुर जिले में तीन तलाक और हलाला जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए मुस्लिम महिलाओं के के लिए `शरई कोर्ट` खोला गया है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनके हकों के प्रति जागरुक करना और उन्हें इन्साफ दिलाना है.

दावा किया जा रहा है कि देश के पहले शरई कोर्ट की शुरूआत ख्वातीन बोर्ड और सुन्नी उलेमा काउन्सिल ने की है, जहां निकाह और तीन तलाक जैसे मामलों पर सुनवाई की जाएगी. इस कोर्ट में सिर्फ महिलाएं ही आवेदन कर सकेंगी और मामले की सुनवाई सिर्फ महिला मुफ्ती ही करेंगी.

रिपोर्ट के मुताबिक ख्वातीन बोर्ड ने महिला दरूल कजा (शरई अदालत) की शुरूआत पटकापुर में की है, जिसकी सरपस्ती ऑल इन्डिया सुन्नी उलेमा काउन्सिल कर रही है. बताया जाता है पटकापुर में खोले गए शरई कोर्ट में पहले दिन तीन मामले आए, जिनकी सुनवाई महिला मुफ्ती और शहरकाजियों ने की.

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शरई कोर्ट के संचालकों का कहना है कि पुरुषों के सामने महिलाएं अपनी समस्याएं सही से नहीं कह पाती है, जिसके चलते महिला शरई कोर्ट खोला गया है, जहां महिला काजी और मुफ्ती ही महिलाओं की समस्याओं को सुनेंगी. उन्होंने बताया कि दूसरे पक्ष को नोटिस भेज कर कोर्ट में बुलाया जाएगा और दोनों पक्षों को बैठा कर शरियत की रोशनी में उनके बीच समझौता कराने का प्रयास किया जाएगा.

महिलाओं के लिए शहर में खोले गए शरई कोर्ट में मुख्यता तलाक, महिला उत्पीडन और विरासत के मामलों की सुनवाई की जाएगी. खास बात यह है कि यहां सुन्नी और शिया शहरकाजी एक साथ बैठ कर मामलों की सुनवाई करेंगी. महिला शरई अदालत में इन्साफ के लिए पहुंची महिलाओं ने कहा कि महिला के सामने अपनी बात कहना आसान है और उनकी समस्याओं का समाधान जल्द हो सकेगा.

माना जा रहा है कि कानपुर में पहली महिला शरई कोर्ट खुलने के बाद देश भर में ऐसे कोर्ट खुलने का रास्ता खुल गया है. हालांकि शरई कोर्ट में वादी और प्रतिवादी कोर्ट के फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे, लेकिन इन कोर्टों के खुलने से मुस्लिम महिलाओं को एक मंच मिला है, जहां न केवल मामलों के निपटारे का प्रयास होगा, बल्कि महिलाएं अपनी हकों के प्रति जागरुक होंगी.

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